पुणे: IMD के आंकड़ों के अनुसार, 1 मार्च से 25 अप्रैल तक बीस राज्यों में प्री-मानसून बारिश कम दर्ज की गई है। इन दो महीनों में बारिश की कमी ने गर्मी की लहर को बनाए रखा है। और गन्ना और कपास के लिए सिंचाई को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा गर्मी से कुछ हद तक पूर्व-खरीफ बुवाई गतिविधि को प्रभावित कर सकती है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, विशेषज्ञों ने कहा कि, कई नदी घाटियों (river basins) में इस पूरे मौसम में बारिश नहीं हुई, जबकि कई अन्य में काफी कम बारिश दर्ज की गई, जिससे बांध के पानी के उपयोग पर अधिक दबाव पड़ सकता है। भारत में प्री-मानसून बारिश भारत की वार्षिक बारिश का लगभग 11% है।
आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया,यदि किसी नदी के बेसिन में कम या कोई बारिश नहीं होती है, तो ऐसे बेसिनों में जलाशयों पर विभिन्न आबादी की जरूरतों के लिए पानी उपलब्ध कराने का अधिक दबाव होगा। यह अंततः बांध के जल स्तर को प्रभावित करेगा। अधिकारी ने कहा कि, कम प्री-मानसून बारिश किसानों की सिंचाई आवश्यकताओं को बढ़ा सकती है, जिसका मतलब जलाशयों में उपलब्ध पानी की अधिक मांग होगी।