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पुणे : चीनीमंडी
महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड ने राज्य सरकार से सिफारिश की है कि, इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने और उसकी संरचना विकसित करने के लिए राज्य में सहकारी चीनी मिलों को 500 करोड़ उपलब्ध कराए जाएं। गन्ने की अधिकता के कारण चीनी स्टॉक में तेजी आ रही है और यह स्थिती महाराष्ट्र में अगले ढाई साल तक रह सकती है। चीनी की कम अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के कारण, किसानों को उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी ) का भुगतान करना भी एक चुनौती बन गया है।
वर्षों से चीनी की खपत स्वास्थ्य कारणों से लगातार कम हो रही है, इसलिए गन्ने के अन्य उपयोग करने के प्रयास जारी हैं। इथेनॉल उत्पादन के लिए मिल में चीनी के रस का सीधा इस्तेमाल चीनी के अधिशेष की समस्या का जवाब हो सकता है। इथेनॉल उत्पादन के साथ, मिलों के लिए किसानों को एफआरपी का भुगतान करना संभव होगा। प्रतिदिन 500 टन गन्ने की पेराई क्षमता वाली चीनी मिलों के लिए, परियोजना लागत लगभग 48- 49 करोड़ और 2,000 टन प्रति दिन की क्षमता वाले बड़े संयंत्रों के लिए, लागत लगभग 126.85 करोड़ होगी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के सामने एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई है। कुल परियोजना लागत में से 30 प्रतिशत का राज्य सरकार द्वारा इक्विटी के रूप में योगदान किया जा सकता है, 10 प्रतिशत मिल से आएंगे और बाकी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से जुटाए जायेंगे। चीनी आयुक्त ने बताया कि, 2017-18 और 2018-19 चीनी सीजन में, देश में चीनी उत्पादन 320 लाख टन से ऊपर रहा है, लेकिन बिक्री केवल 260 लाख टन रही है। अतिरिक्त स्टॉक चीनी की कीमतों पर दबाव डाल रहा है। परिणामस्वरूप, राज्य में मिलें, जो चीनी बिक्री से लगभग 80 से 85 प्रतिशत राजस्व प्राप्त करती हैं, किसानों को एफआरपी का भुगतान करने में मुश्किल का सामना कर रही है और मिलें घाटे में भी चल रही हैं।