मुंबई : रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, देश के शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में गंभीर सूखे के कारण उत्पादन स्तर में कमी आने का खतरा मंडरा रहा है।सरकार और चीनी उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि, 2023-24 फसल वर्ष में चीनी उत्पादन में 14 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी जा सकती है, जो चार वर्षों में सबसे कम उत्पादन की ओर इशारा करती है। एक सदी से भी अधिक समय के सबसे शुष्क अगस्त के कारण गन्ने की पैदावार में उल्लेखनीय रूप से कमी आने से यह पूर्वानुमान लगाया जा रहा है।
चीनी आपूर्ति में यह संभावित कमी खाद्य मुद्रास्फीति की चिंताओं को और बढ़ा सकती है और भारत सरकार को चीनी निर्यात की अनुमति देने से हतोत्साहित कर सकती है। ऐसा परिदृश्य वैश्विक चीनी कीमतों को भी समर्थन प्रदान कर सकता है, जो पहले से ही एक दशक से अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर के करीब कारोबार कर रहे है।
चीनी उत्पादन में गिरावट की संभावना
महाराष्ट्र, भारत के चीनी उत्पादन परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, जो आमतौर पर देश के चीनी उत्पादन में एक तिहाई से अधिक का योगदान देता है।वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी.ठोंबरे ने रॉयटर्स को बताया कि, 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी 2023-24 सीज़न के लिए महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन लगभग 9 मिलियन मीट्रिक टन तक घटने की उम्मीद है। ठोंबरे ने अंतर्निहित मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा, इस वर्ष गन्ने की फसल को विकास के महत्वपूर्ण चरण के दौरान पर्याप्त वर्षा नहीं मिली। लगभग सभी जिलों में, फसल की वृद्धि रुकी हुई है। महाराष्ट्र अगस्त में भारी वर्षा की कमी से जूझ रहा था, जहां सामान्य से 59 प्रतिशत कम वर्षा हुई, जिससे गन्ने की पैदावार पर सूखे का प्रभाव बढ़ गया।
चीनी निर्यात पर रोक संभव…
महाराष्ट्र का उत्पादन भारत की चीनी निर्यात करने की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, जिससे आगामी सीजन में विदेशी शिपमेंट पर असर पड़ सकता है।
2021/- 22 सीज़न में, महाराष्ट्र ने 13.7 मिलियन टन का रिकॉर्ड चीनी उत्पादन किया था, जिससे भारत ऐतिहासिक 11.2 मिलियन टन का निर्यात करने में सक्षम हुआ। अगले वर्ष, जैसे ही 2022-23 में महाराष्ट्र का उत्पादन 10.5 मिलियन टन तक सिकुड़ गया, भारत ने निर्यात को घटाकर 6.1 मिलियन टन कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के के मुताबिक, सरकार अक्टूबर में शुरू होने वाले सीजन में चीनी मिलों पर चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है, जिससे सात साल में पहली बार शिपमेंट में रुकावट आएगी।