नई दिल्ली : चीनी मंडी भारत के चीनी उद्योग के अधिकारियों ने को कहा की, मिलों ने अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन के लिए लगभग 1.2 मिलियन टन चीनी निर्यात के अनुबंध किये है । मिलों ने विभिन्न गंतव्यों में 200,000 टन कच्ची चीनी का निर्यात किया है। बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में दुबई स्थित अल खलीज शुगर रिफाइनरी और व्यापारियों द्वारा भारतीय चीनी का अनुबंध किया है। भारतीय चीनी निर्यात के लिए सोमालिया जैसे पूर्वी अफ्रीकी राष्ट्र भी शामिल थे। अधिकारियों में से एक ने कहा, अनुबंधित चीनी मात्रा का लगभग एक तिहाई सफेद चीनी का है। उन्होंने कहा कि, निर्यात सौदों को ‘एफओबी’ आधार पर किया गया है।
भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक चीनी उत्पादक देश बनकर उभरा है और अक्टूबर 2018-सितंबर 2019 के दौरान मौजूदा सीजन में निर्यात के लिए 5 मिलियन टन की सीमा निर्धारित कर चुका है। भारत का चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने 2018-2019 में 31.5 मिलियन टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.1% कम है। विश्लेषकों ने गन्ना उत्पादकों द्वारा बुआई में वृद्धि के बावजूद इस वर्ष के सूखे मौसम और कीट के हमलों के कारण 32.5 मिलियन टन के पिछले वर्ष के रिकॉर्ड आउटपुट से अपेक्षित गिरावट को जिम्मेदार ठहराया।
1 अक्टूबर को, भारत में शुरुआती चीनी स्टॉक 10.7 मिलियन टन था। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उपभोक्ता भारत को 26 मिलियन टन की जरूरत है। ‘आईएसएमए’ ने सरकार द्वारा एक निर्यात कोटा को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा एक तंत्र का पक्ष लिया। ‘आईएसएमए’ के अध्यक्ष, गौरव गोयल ने 84 वीं वार्षिक आम बैठक में कहा की, “हमने सरकार से अनुरोध किया है कि, यदि कोई व्यक्ति अपने निर्यात कोटा को पूरा नहीं करता है तो वह स्पष्ट दंड के साथ अनिवार्य निर्यात की व्यवस्था करे ।