पुणे: जैसे जैसे गन्ना पेराई सीजन आगे बढ़ता जा रहा है महाराष्ट्र में कई चीनी मिलें अपने पेराई सत्र को खत्म करते जा रही है। यह सीजन राज्य के चीनी मिलों के लिए शुरू से ही चुनौती पूर्ण रहा है। महाराष्ट्र के पश्चिमी इलाके में तेज बाढ़ और मराठवाडा में सूखे के कारण गन्ना फसल क्षतिग्रस्त हुई थी, और तो और मराठवाडा में सूखे के कारण काफी सारे गन्ने का इस्तेमाल पशु शिविरों में चारे के रूप में किया गया, जिसका सीधा असर पेराई पर दिखाई दे रहा है। गन्ना कटाई श्रमिक की समस्या ने भी चीनी मिलों को परेशान किया है।
इसका असर चीनी उत्पादन पर भी हुआ है। राज्य की चीनी मिलों ने 19 फरवरी, 2020 तक 418.77 लाख टन गन्ना पेराई कर के 10.91 चीनी रिकवरी के साथ 45.68 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो की पिछले सीजन के इसी अवधि के तुलना में कम है।
वर्तमान सीजन के दौरान राज्य में 143 मिलों ने पेराई सत्र में हिस्सा लिया था, और उनमे से 13 चीनी मिलों ने गन्ना पेराई बंद कर दिया है। औरंगाबाद विभाग के 7, अहमदनगर विभाग के 3, सोलापुर विभाग के 2, और पुणे विभाग की 1 चीनी मिल का पेराई सत्र खत्म हुआ है। अब यह संभावना जताई जा रही है की, आगे 15-20 दिनों के भीतर अधिकांश मिलों का सीजन खत्म हो जाएगा।
इस बार महाराष्ट्र में बाढ़ और सूखे के कारण गन्ना उत्पादन पर काफी असर पड़ा है और साथ ही साथ, राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण गन्ना पेराई सत्र में देरी हुई है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने राज्य के राज्यपाल बीएस कोश्यारी से अनुमति मिलने के बाद आधिकारिक तौर पर गन्ना पेराई सीजन शुरू कर दिया था। राज्यपाल ने 22 नवंबर को आधिकारिक रूप से सीजन शुरू करने की अनुमति दी थी। देरी से सीजन शुरू होने के कारण चीनी उत्पादन में काफी गिरावट देखि जा सकती है।
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