लखनऊ: प्रदेश के गन्ना किसानों की खुशहाली हेतु चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग सदैव प्रयासरत है और इसी क्रम में आज गन्ना आयुक्त कार्यालय के सभागार में प्रदेश के गन्ना आयुक्त श्री संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में ‘‘बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उपसमिति’’ की बैठक आयोजित की गयी। इस उपसमिति में प्रदेश के गन्ना किसान एवं चीनी मिलें भी सदस्य हैं। इस बैठक में वैरायटल रिलीज कमेटी द्वारा प्रदेश के गन्ना किसानों हेतु 2 नई गन्ना किस्मों को.शा.17231 एवं यू.पी.14234 को प्रदेश में सामान्य खेती हेतु अवमुक्त किया गया।
‘‘बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उपसमिति’’ के समक्ष गन्ना शोध परिषद के प्रजनन अनुभाग के वैज्ञानिकों ने प्रस्तावित नवीन किस्मों का विभिन्न शोध संस्थानों तथा विभिन्न चीनी मिल प्रक्षेत्रों पर सम्पन्न राज्य स्तरीय जातीय परीक्षण के उपज, पोल इन केन प्रतिशत, रस में शर्करा प्रतिशत, सी.सी.एस.टन प्रति हैक्टर के ऑकड़े प्रस्तुत किये तथा स्टैण्डर्ड गन्ना प्रजाति को.0238 एवं को.शा. 767 से उसका तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया। प्रस्तुत आंकड़ों पर उपसमिति के सदस्यों द्वारा गहन विचार-विमर्श कर अपने-अपने मंतव्य/सुझाव व्यक्त किये गये।
अध्यक्ष एवं गन्ना आयुक्त श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने प्रस्तुत ऑकड़ों का गहनता पूर्वक अवलोकन कर सर्वसम्मति से गन्ना किस्म को.शा.17231 एवं यू.पी.14234 को प्रदेश में सामान्य खेती हेतु स्वीकृत किया। उन्होंनें बताया कि इन किस्मों के सामान्य खेती हेतु स्वीकृत होने से गन्ना किसानों के उत्पादन में वृद्वि के साथ-साथ चीनी परते में भी वृद्वि होगी तथा प्रदेश के गन्ना किसानों को खेती हेतु नवीन किस्मों की श्रेणी में विकल्प के तौर पर और किस्में उपलव्ध हो सकेंगी। यह भी बताया कि गन्ना किस्म यू.पी.14234 उन क्षेत्रों के लिए है, जहां की भूमि ऊसर है तथा उन क्षेत्रों में गन्ने की खेती नहीं हो रही है अथवा गन्ने की उपज बहुत कम है। ऐसे क्षेत्रों में यू.पी. 14234 गन्ना किसानों हेतु लाभदायक सिद्ध होगी। उन्होंने को.शा.17231 गन्ना किस्म के बारे में बताया कि इस नवीन किस्म का जमाव, व्यॉत एवं मिल योग्य गन्नों की संख्या अच्छी है तथा गन्ना मोटा एवं लम्बा होने के साथ-साथ पेड़ी उत्पादन क्षमता भी बेहतर है।
इसी के साथ लाल सड़न के रोग से ग्राही हो जाने के कारण गन्ना किस्म को.पी.के.05191 को फेज आउट करने का भी निर्णय लिया गया। पेराई सत्र 2022-23 में इस किस्म की पेड़ी एवं पौधा फसल सामान्य किस्म के रूप में क्रय की जायेगी तथा पेराई सत्र 2023-24 में केवल पेड़ी फसल को सामान्य किस्म के रूप में लिया जायेगा। बुवाई वर्ष 2022-23 से यह किस्म बुवाई के लिए प्रतिबन्धित होगी तथा बुवाई करने की दशा में इसे अस्वीकृत किस्म के रूप में माना जायेगा।
वैरायटल कमेटी की इस बैठक में अपर गन्ना आयुक्त (विकास)/निदेशक, उ.प्र.गन्ना शोध परिषद शाहजहॉपुर, श्री वी.के.शुक्ल, संयुक्त गन्ना आयुक्त डा. वी.बी.सिंह, डा. आर.सी.पाठक एवं श्री विश्वेश कनौजिया सहित गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर एवं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों सहित, चीनी मिलों के प्रतिनिधि एवं प्रगतिशील किसानों ने प्रतिभाग किया।