यह न्यूज़ सुनने के लिए इमेज के निचे के बटन को दबाये
पूणे: चीनीमंडी
बकाया एफआरपी के मामले में चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा रेव्हेन्यू रिकव्हरी सर्टिफिकेट (आरआरसी) लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, पिछले पांच वर्षों से 31 मिलों के पास लगभग 250 करोड़ रुपये का बकाया है। इनमें से कुछ मिलों ने इस सीझन में भी भुगतान नही किया हैं।
6 मई तक 68 मिलों पर ‘आरआरसी’ की कार्रवाई
इस साल का गन्ना सीझन बकाया एफआरपी के कारण विशेष चर्चा में रहा। चीनी मिलों द्वारा किसानों को एफआरपी जारी करने में देरी के कारण, राज्य के कई किसान संघठनों द्वारा किये गए आंदोलन के कारण 6 मई के अंत तक राज्य में 68 मिलों पर ‘आरआरसी’ की कार्रवाई की गई है। अप्रेल के अंत तक राज्य के मिलों द्वारा किसानों को 22 हजार 42 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। चीनी मिलों ने इसमें से 18 हजार 821 करोड़ 22 लाख रुपये का भुगतान किया, लेकिन अब पेराई सत्र खत्म होने के बावजूद मिलों के पास 3,607 करोड़ 52 लाख का बकाया हैं।
195 में से केवल 43 मिलों द्वारा सौ प्रतिशत एफआरपी भुगतान
राज्य में 195 में से केवल 43 मिलों ने सौ प्रतिशत एफआरपी भुगतान किया है। शुगरकेन कंट्रोल एक्ट के अनुसार, यदि किसानों को गन्ना पेराई के बाद 14 दिनों के भीतर एफआरपी का भुगतान करना अनिवार्य है। लेकिन राज्य के 31 चीनी मिलों ने 2011-12 से 2017-18 तक 249 करोड़ 52 लाख रुपये का भुगतान अभी तक नही किया हैं। इसमें बीड की जय भवानी चीनी मिल, सातारा की रयत चीनी मिल भी शामिल है, जिन्होंने इस साल के सीझन का भी पूरा भुगतान नही किया है। रयत ने 2014-15 में 9.81 करोड़ रुपये और बीड की जय भवानी मिल के पास 3 करोड़ 26 लाख रुपये बकाया हैं। चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा जय भवानी मिल पर इस साल आरआरसी की कार्रवाई भी की गई है।
पेराई सत्र 2011-12 से 17-18 तक के बकायेदार :
दौलत-कोल्हापुर 19.96 करोड़, वसंतदादा किसान-सांगली 55.4 करोड़, रयत -सतारा 9.81 करोड़, न्यू फलटन 48.41करोड़, स्वामी समर्थ-सोलापुर 9.07 करोड़,शंकर-सोलापुर 30.76 करोड़, आर्यन शुगर-सोलापुर 21.05 करोड़, विजय शुगर-सोलापुर 20.17 करोड़, शंभू महादेव-उस्मानाबाद 11.87 करोड़, चोपडा-जलगांव 12.82, करोड़,समर्थ-जालना 3.65 करोड़, जय भवानी-बीड 3.26 करोड़, एच. जे. पाटिल-नांदेड़ 5.57 करोड़, महाराष्ट्र किसान-परभणी 9.92 करोड़