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कोल्हापुर: चीनीमंडी
राज्य सरकार उन चीनी मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जो गन्ना किसानों को उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) भुगतान करने में विफल रहे हैं। सांगली और कोल्हापुर जिलों में 38 चीनी मिलों को किसानों का 1,160 करोड़ रुपये का बकाया देना होगा। दोनों जिलों के केवल तीन मिलों ने एफआरपी के 90% से अधिक भुगतान की है। कोल्हापुर क्षेत्र की 38 चीनी मिलों ने इस सीझन में अब तक किसानों को 4,923 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
चीनी आयुक्त कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि, हालांकि बकाया भुगतान को लेकर चीनी मिलों के खिलाफ कभी भी कार्रवाई हो सकती है, चीनी के स्टॉक को जब्त करने ककी नोटिस को जल्द ही भेजे जाने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि, सांगली जिले में एक चीनी मिल को पहले ही नोटिस दिया जा चुका है और कानूनी औपचारिकता पूरी करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव के कारण सरकार द्वारा राजस्व और वसूली अधिनियम (RRA) के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकी। गन्ना नियंत्रण अधिनियम के तहत सहकारी और निजी चीनी मिलों को पहले ही नोटिस दिया जा चुका है। चीनी आयुक्तालय के अधिकारियों ने कहा कि उसने कोल्हापुर जिले में लगभग 18 चीनी मिलें ‘रडार’पर है, जिन्होंने भुगतान नहीं किया है। जिले में केवल दो मिलों ने किसानों को एफआरपी का पूर्ण भुगतान किया है, जबकि कुछ अन्य मिलें बैंक खातों में भुगतान जमा करने की प्रक्रिया में है। चीनी आयुक्त के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि, कोल्हापुर जिले की 22 निजी और सहकारी चीनी मिलों को 700 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है। संताजी घोरपडे सहकारी और हेमरस मिल ने ही केवल किसानों को 100% भुगतान किया है।
आयुक्त सूत्रों ने कहा कि, एफआरपी भुगतान को लेकर राज्य सरकार ने गंभीर रुख अपनाया क्योंकि चीनी मिलें किसानों को भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है। केंद्र सरकार ने नरम ऋण की पेशकश की है, जिसमें से ब्याज का भुगतान सरकार मिलों को करेगी। सूत्रों ने कहा कि मिल संचालक न केवल भुगतान में देरी कर रहे थे, बल्कि कम कीमत पर चीनी भी बेच रहे थे, जो सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है। इसकी भी जांच चल्र रही है, इसमें दोषी पाए जाने वाली मिलों पर सख्त कार्रवाई के संकेत मिल रहे है।