एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आज कहा कि, “भारत से मध्य पूर्व के देशों और श्रीलंका को निर्यात करने की प्रक्रिया में लगभग ४ लाख टन चीनी है।”
सरकार द्वारा दिए गए ५५ रुपये प्रति टन की सबसिडी का लाभ उठाने के लिए मिलों को चालू २०१७-१८ विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में २० लाख टन चीनी निर्यात करने की आवश्यकता है।
२० लाख टन में से ४ लाख टन की चीनी निर्यात करने के लिए कारखानों से निकाली गयी है। इस बात की पुष्टी नाम न बताने के शर्त पर एक अधिकारी ने पिटीआय को बताई है।
अधिकारी ने कहा कि,” ज्यादातर शिपमेंट महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों से किए जा रहे हैं, जो पोर्ट्स के नजदीक हैं। और सरकार चीनी के निर्यात के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ भी बातचीत कर रही है।”
उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक, भारत विश्व में दूसरे क्रमांक का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है। चीनी उत्पादन का चालू विपणन वर्ष में ३२.२५ मिलियन टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है, जो पिछले साल २०.३ मिलियन टन था। घरेलू मांग सालाना २५ मिलियन टन हुई है ऐसा अंदाजा है।
अधिशेष चीनी को समाप्त करने और मिलों को बड़ी मात्रा में गन्ना बकाया राशि में मदद करने के लिए, सरकार ने उद्योग को बकाया करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है।
चीनी के निर्यात शुल्क में कटौती की गयी है और आयात शुल्क को दोगुना बढ़ाया है। इसके अलावा, ८५०० करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया गया है जिसमें इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ४५०० करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन शामिल है। संकट पर काबू करने के लिए ३ लाख टन का एक बफर स्टॉक भी बनाया गया है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, देश के चीनी उत्पादन में २०१८-१९ विपणन वर्ष में ३५.५ मिलियन टन के नए रिकॉर्ड को छूने के लिए १०% की वृद्धि होने का अनुमान है।