पानीपत : हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि, उसने पिछले साल 25 सितंबर से 15 नवंबर तक पराली जलाने में 45% की कमी सफलतापूर्वक हासिल की है। राज्य में 2022 में पराली जलाने की 3,149 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2021 की इसी अवधि में यह संख्या 5,724 थी। एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष एमएम कुट्टी ने हरियाणा को खरीफ की कटाई के मौसम के दौरान शून्य पराली जलाने का लक्ष्य हासिल करने का निर्देश दिया है। कुट्टी ने कथित तौर पर उन 14 जिलों के उपायुक्तों को पराली जलाने के मामले शून्य करने के निर्देश दिए।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने आठ जिलों, फतेहाबाद, सिरसा, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और करनाल के उपायुक्तों को सख्ती से पराली जलाने पर 100% जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है क्योंकि ये जिले लगभग 90% आग के लिए जिम्मेदार है। यह बैठक हरियाणा, एनसीआर और इसके आसपास के क्षेत्रों में वर्ष 2023 के दौरान फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए बुलाई गई थी।कुट्टी ने सभी उपायुक्तों और राज्य के अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि निस्संदेह हरियाणा ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पराली प्रबंधन की दिशा में बेहतर काम किया है, लेकिन पराली जलाने की घटनाओं को शून्य करना होगा और इसके लिए जिला प्रशासन को इस दिशा में और मेहनत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, आसपास के जिलों के किसानों को पराली प्रबंधन के लिए आईओसीएल, पानीपत में स्थापित एथेनॉल प्लांट में पराली पहुंचाने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।हरियाणा कृषि और किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा ने कहा, “हम निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे और लगभग शून्य घटनाओं को प्राप्त करने के लिए शुरू से ही प्रयास करेंगे।