नई दिल्ली: कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई गई है। इस फैसले से भारतीय विदेश मंत्रालय को बड़ा झटका लगा है। इस बारे में एएनआई ने खबर दी है। इन पूर्व अधिकारियों के परिवार उनकी रिहाई की उम्मीद कर रहे थे। अब ये देखना अहम होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा है की, हम इन पूर्व अधिकारियों के परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं। साथ ही हमने इस मामले के कानूनी पहलुओं का अध्ययन भी शुरू कर दिया है। हम कतर अधिकारियों से गुहार लगाने जा रहे है। भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों ने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। इन सभी पर इजराइल के लिए जासूसी करने का आरोप है। गुरुवार को इन सभी आठ लोगों को कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई है।
कतर में हिरासत में लिया गये पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज में कार्यरत था। यह कंपनी सैन्य बलों से जुड़े उपकरण उपलब्ध कराने का काम करती है। यह रक्षा और अन्य सुरक्षा एजेंसियों का स्थानीय व्यापार भागीदार भी है और रक्षा उपकरणों का रखरखाव करता है। ये आठों कर्मचारी पिछले चार से छह साल से कंपनी में काम कर रहे थे। हिरासत में लिए गए अधिकारियों में से एक फर्म के प्रबंध निदेशक सेवानिवृत्त कमांडर पूर्णेंदु तिवारी है। 2019 में, उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इन आठ लोगों को कतर की खुफिया एजेंसी एसएसबी ने 30 अगस्त को हिरासत में लिया था।दोहा स्थित भारतीय दूतावास को सितंबर में उसकी गिरफ्तारी की जानकारी दी गई थी। इन अधिकारियों के परिवारों ने भारत सरकार से उन्हें सुरक्षित वापस लाने की अपील की. लेकिन अब इन सभी को मौत की सजा सुनाई गई है।