कृषि पर भारत-जर्मनी संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की 8वीं बैठक 19 मार्च 2025 को नई दिल्ली के पूसा स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर में हुई। बैठक की सह-अध्यक्षता पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव सुश्री अलका उपाध्याय और जर्मन संघीय खाद्य और कृषि मंत्रालय (बीएमईएल) में राज्य सचिव सुश्री सिल्विया बेंडर ने की। बैठक में डिजिटल कृषि, बीज क्षेत्र, मशीनीकरण एवं प्रौद्योगिकी, बागवानी क्षेत्र, पशुपालन एवं मत्स्य पालन के क्षेत्र में सहयोग पर विस्तार से चर्चा की गई।
अपने स्वागत भाषण में सुश्री उपाध्याय ने भारत और जर्मनी के बीच मजबूत संबंधों को रेखांकित किया और वैश्विक मुद्दों पर मजबूत सहयोग और 2011 से अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के माध्यम से विकसित रणनीतिक साझेदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि क्षेत्र में सहयोग के महत्व पर बल दिया, विशेष रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकियों में और दोनों देशों के बीच प्रभावशाली कृषि व्यापार का उल्लेख किया। उन्होंने कृषि पारिस्थितिकी व बीज उत्पादन में चल रहे सहयोग का उल्लेख करते हुए संबंधों को और मजबूत करने तथा कृषि सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशने के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
सुश्री सिल्विया बेंडर ने भारत के साथ अपनी साझेदारी की सराहना की और विशेष रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने दोनों देशों के सामने आने वाली आम चुनौतियों को स्वीकार किया और अभिनव समाधान खोजने के लिए मिलकर काम करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कृषि में सहयोग बढ़ाने के लिए अपने अनुभव और दृष्टिकोण को साझा करने के लिए तत्परता को भी दोहराया।
श्री अजीत कुमार साहू ने भारत की कृषि उपलब्धियों का एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जिसमें घरेलू और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया गया। उन्होंने डिजिटल कृषि मिशन, लखपति दीदी कार्यक्रम, कृषि सखी और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के प्रयासों सहित सरकार की पहलों पर प्रकाश डाला। श्री साहू ने प्राकृतिक और जैविक खेती, फसल बीमा, ई-एनएएम और एग्रीश्योर जैसे कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तार से बताया जिनका उद्देश्य कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाना और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है।
सहयोग के क्षेत्रों पर चर्चा करते हुए डॉ. प्रमोद मेहरेडा ने डिजिटल कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला तथा कीट और रोग प्रबंधन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग में सर्वोत्तम उपायों के आदान-प्रदान के महत्व पर बल दिया।
बैठक में सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कृषि में डिजिटलीकरण, मशीनीकरण, बीज क्षेत्र, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन शामिल थे।
जर्मन प्रतिनिधिमंडल में बीएमईएल, इसके अधीनस्थ प्राधिकरणों और विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल थे। भारत की ओर से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (बागवानी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और मशीनीकरण) के संयुक्त सचिवों के साथ-साथ पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्य पालन विभाग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के प्रतिनिधियों ने बैठक में भाग लिया।