गन्ना पेराई सीजन के दौरान महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में गन्ना कटाई के लिए लाखों प्रवासी मजदूरों की जरूरत होती हैं। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते गन्ना श्रमिकों में भी डर का माहोल बना हुआ है। जिसका सीधा असर चीनी सीजन पर भी दिखाई दे सकता है, जिससे पेराई धीमी गति से होने की संभावना है। देश में पेराई सीजन अक्टूबर में शुरू होता है। देश की ज्यादातर चीनी मिलें अभी भी गन्ना कटाई के लिए प्रवासी मजदूरों पे भरोसा करती है। और अगर प्रवासी मजदुर अगर अच्छी संख्या में नहीं आते है तो पेराई पर असर पड़ सकता है।
महाराष्ट्र में गन्ना मजदूरों की संख्या लगभग 7 से 9 लाख है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में चीनी मिलें गन्ना कटाई के लिए प्रवासी मजदूरों पर निर्भर है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप से प्रवासी मजदूरों के आने पर सस्पेंस बना हुआ है।
कई क्षेत्रों में गन्ने की कटाई के लिए ज्यादा से ज्यादा हार्वेस्टर मशीनों का इस्तेमाल करने को कहा गया है, ताकि अन्य क्षेत्र से आने वाले गन्ना कटाई मजदूरों पर निर्भरता कम की जा सके। 3.9 मिलियन कोरोनो वायरस संक्रमणों के मामले में भारत दुनिया भर में तीसरा सबसे बड़ा देश बनकर उभरा है। अब चीनी मिलों को यह डर सता रहा है कि, कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ो के चलते गन्ना श्रमिक कहीं मुह न फेर ले। पेराई में देरी से भारतीय मिलों में चीनी का उत्पादन धीरे-धीरे हो सकता है।
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