भारत में इथेनॉल खपत रिकॉर्ड स्तर पर, लेकिन फिर भी तय लक्ष्यों तक पहुचना मुश्किल : यूएसडीए

ह्यूस्टन : अमेरिकी कृषि विभाग ने कहा की, सरकार गन्ने के बम्पर उत्पादन से निपटने के लिए चीनी मिलों को चीनी की जगह इथेनॉल उत्पादन की इजाजत दे रही है, भारत सरकारद्वारा पेट्रोलियम के साथ इथेनॉल की मिश्रित मात्रा का  उच्च लक्ष रखा है, लेकिन इथेनॉल उत्पादन के तय ‘लक्ष’ तक पोहचना मुश्किल हो सकता है। 2018 में ईंधन के उपयोग के लिए इथेनॉल खपत 1.25 बिलियन लीटर तक पहुंचने के लिए तैयार है, जो यूएसडीए की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक आज तक की  सबसे अधिक मात्रा है।
2018 में भारत देश 3.2% की इथेनॉल मिश्रण तक पहुंच सकता है, जो 3.3% के साथ 2016 के बाद दूसरी सबसे ज्यादा दर है। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, मिश्रण दर 10% की सरकारी लक्ष्यों से काफी कम है। इस साल की शुरुआत में जारी एक नई जैव ईंधन नीति के हिस्से के रूप में, सरकार ने 2030 तक 20% की इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य का प्रस्ताव दिया था।
नई नीति बी-भारी गुड़, गन्ना के रस और क्षतिग्रस्त अनाज से उत्पादित इथेनॉल के उपयोग की अनुमति देती है, जो लोगों के  उपभोग के लिए अनुपयुक्त हैं।भारत की नीति ईंधन मिश्रण के लिए आयातित इथेनॉल का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती है। इसके बजाए, घरेलू इथेनॉल उत्पादन का उपयोग ईंधन मिश्रण के लिए किया जा सकता है ।
इसका मतलब है कि दुनिया में कहीं और सस्ती कीमतें भारत को अपने मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने में मदद नहीं करती हैं, क्योंकि घरेलू ईंधन मिश्रण घरेलू उत्पादन से पूरा किया जायेगा । भारत में चीनी आपूर्ति उच्च रही है और नई जैव ईंधन नीति चीनी मिलों को एक नया स्रोत प्रदान करती है।

कैथलीन सैलेन ने कहा, बी-भारी गुड़ (मोलासिस) के एक मेट्रिक टन से  600 लीटर इथेनॉल का उत्पादन कर सकते हैं। तो यदि बी-भारी गुड़ से 3.3 बिलियन लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता है, तो यह बाजार से 1.55 लाख मेट्रिक टन चीनी  कम उतापादित होगी । इथेनॉल की 10% मिश्रण दर तक पहुंचने के लिए देश को 3.3 बिलियन लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।

SOURCEChiniMandi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here