मुंबई : चीनी मंडी
गन्ना के मौसम का आगाज होते ही महाराष्ट्र में हर साल किसान संगठनों द्वारा गन्ने की दर के लिए जनसभा का आयोजन किया जाता है। उन सभा में हजारों किसानों के सामने आनेवाले सीझन के लिए गन्ने की प्रति टन कीमत की मांग रखी जाती है, अगर चीनी मिले और सरकार किसान संघटन की बात मानती है, तो सीझन बिना किसी रोकटोक के शुरू होता है, लेकिन अगर चीनी मिलें मांग ठुकराते है तो फिर चीनी मिले और किसानों में संघर्ष होता है। इसमें फिर सरकार को दखल देना पड़ता है, महाराष्ट्र में पिछले 10 – 12 सालों से यही होता आया है। लेकिन इस बार महाराष्ट्र के कृषि राज्यमंत्री सदाभाऊ खोत के ‘रयत क्रांति संघटन’ ने १० अक्तूबर को कोल्हापूर (कोडोली कसबा ) में गन्ना परिषद का आयोजन किया है।
खोत ‘स्वाभिमानी शेतकरी संघठन’ के पूर्व सेनापति…
१० साल पहले राजू शेट्टी और सदाभाऊ खोत इन दोनों ने मिलकर स्वाभिमानी शेतकरी संघठन की नीव रखी थी, गन्ना किसानों के हित में खड़ी इस संघठन ने गन्ना किसानों को साथ लेकर प्रदेश में कई बार गन्ना दर आन्दोलन खड़ा किया और अपनी मांगे चीनी मिलों से पूरी कारवाई । शेट्टी से मनमुटाव के चलते अब इसी संघठन के सेनापति और कृषि राज्यमंत्री खोत ‘स्वाभिमानी शेतकरी संघठन’ से अलग हो गये और उन्होंने अलग से अपना ‘रयत क्रांति संघठन’ बना लिया। खोत अब इसी संघठन के माध्यम से गन्ना परिषद का आयोजन करके सांसद राजू शेट्टी का ‘चुनावी मुद्दा’ छिनने की कोशिश में लगे है।
क्या करेंगे सांसद राजू शेट्टी?
रयत क्रांति संघठन के मुखिया और प्रदेश के मंत्री होने के नाते खोत इस साल गन्ना दर तय करने की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका में होंगे। इस अवधि के दौरान, रयत क्रांति संघटन सरकार और चीनी कारखाने के बीच बातचीत में काम करना जारी रखेगी। सरकार और खोत दोनों भी विपक्षी सांसद राजू शेट्टी को दरकिनार करने में लगे है। अब शेट्टी और स्वाभिमानी शेतकरी संघठन क्या करते है, इसपर किसान, चीनी मिलर्स और सरकार की नजरें टिकी है।