नई दिल्ली : चीनी मंडी
भारत सरकार द्वारा चीनी उद्योग को दी गई सब्सिडी के खिलाफ विश्व के सभी चीनी उत्पादक देश एक होकर भारत को सब्सिडी मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रहे है। थाई चीनी मिलर्स चीनी व्यापार सुधार और उदारीकरण (जीएसए) के लिए ग्लोबल शुगर एलायंस के साथ मिलकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को शिकायत दर्ज कर के भारत की चीनी उद्योग और गन्ना किसानों की सब्सिडी को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है की, भारत ने किसानों के लिए गन्ने की कीमतों में वृद्धि और भारत से 5 मिलियन टन चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी देने के लिए 760 मिलियन अमरीकी डालर (25.1 बिलियन बाहट) आवंटित करके वैश्विक चीनी की कीमतें 10 साल कम कर दी हैं।
थाई चीनी निर्माता,थाई शुगर प्रोड्यूसर एसोसिएशन, थाई शुगर और बायो-एनर्जी प्रोड्यूसर एसोसिएशन और शुगर इंडस्ट्री ट्रेड एसोसिएशन, जीएसए के साथ हाथ मिला रहे हैं, जिसका नेतृत्व प्रमुख चीनी उत्पादक ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, ग्वाटेमाला, कोलंबिया, चिली, कनाडा और थाईलैंड ने डब्ल्यूटीओ को अपनी शिकायतों पर कार्य करने के लिए मध्यस्थ के रूप में बुलाया है ।
तीन थाई संघों के समन्वयक समिति के उपाध्यक्ष विबुल पानितवोंग ने कहा कि, भारत के उपायों ने ग्लोबल शुगर की कीमतों में 36% की कमी दर्ज की है, जो दुनिया भर में वैश्विक चीनी मिलर्स के उत्पादन लागत से काफी कम है ।उन्होंने कहा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड पहले से ही नई उत्पादन तकनीक लागू कर चुके हैं,।अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन ने 4 अक्टूबर को चीनी की कीमत 12.47 अमेरिकी सेंट प्रति पौंड पर उद्धृत की।
विबुल ने कहा, भारत के उपाय वैश्विक चीनी मूल्य को गिरा रहे हैं। जब तक भरत द्वारा सब्सिडी के उपायों को बंद नहीं किया जाता है, उसकी नकारात्मक गति से दुनिया भर में व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।सभी चीनी उत्पादकों को वास्तविक चीनी मूल्य को विकृत करने वाले उपायों को रोकना चाहिए। थाईलैंड भी एक जीएसए सदस्य है, हमें अपनी सरकारी चीनी एजेंसी को शिकायत दर्ज कराने और डब्ल्यूटीओ स्तर पर व्यापार विवादों को हल करने के लिए बुलावा है।”