नई दिल्ली : चीनी मंडी
ब्राजील ने गन्ने से चीनी की बजाय इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। ब्राजील इसके लिए 5 से 25 लाख मेट्रिक टन गन्ने का इस्तेमाल करेगा। ब्राजील की ‘इथेनॉल निति’ भारत की चीनी उद्योग के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि ब्राजील से अंतरराष्ट्रीय चीनी बाजार में बिक्री की स्पर्धा कुछ हद तक कम हो सकती है, इससे भारतीय चीनी मिलों को निर्यात से अच्छे पैसे मिल सकते है । ‘इस्मा’ के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने एक निजी न्यूज़ चैनेल को दिए साक्षात्कार में भारत के चीनी उद्योग को ब्राजील के फैसले का फायदा होने का अनुमान जताया।
सरकार का राहत पैकेज चीनी निर्यात के लिए लाभदायी
उन्होंने कहा की, केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को निर्यात के लिए ५ लाख मेट्रिक टन कोटा आवंटित किया है । सरकार ने हाल ही में ₹ 5,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। इसमें आंतरिक परिवहन, माल ढुलाई, और निर्यात के लिए अन्य शुल्क और 2018-19 के लिए निष्पक्ष और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के हिस्से के रूप में सीधे किसानों को 1,375 करोड़ रुपये शामिल हैं । अब ब्राजील अगर चीनी की जगह इथेनॉल उत्पादित करता है, तो विश्व बाजार में चीनी कीमतों में होनेवाली बढ़ोतरी का लाभ भारत की चीनी मिलों का मिल सकता है ।
गन्ना उत्पादन अनुमान से कम होने की उम्मीद
इस्मा और अन्य सरकारी एजिंसियो द्वारा भारत में 2018 – 2019 के चीनी मौसम में 35 लाख मेट्रिक टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया था, लेकिन महाराष्ट्र के कई जिले और उत्तर कर्नाटक में सूखे की वजह से चीनी उत्पादन घटने की आशंका है। ‘इस्मा’ जल्द ही इस साल का चीनी उत्पादन के अनुमान का जायजा लेगा और फिर एक बार नया अनुमान सामने रखेगा, जो पहले अनुमान से कम हो सकता है। गन्ना उत्पादन घटने से चीनी के दाम और बढ़ सकते है और इसका चीनी मिलों को फायदा हो सकता है । सरकार द्वारा इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए भी चीनी मिलों को सहायता की जा रही है, इथेनॉल उत्पादन शुरू होने का बाद मिलों के राजस्व में और बढ़ोतरी हो सकती है ।