पुणे : चीनी मंडी
गन्ना कटाई भुगतान में बढ़ोतरी, कल्याणकारी बोर्ड की स्थापना और गन्ना कटाई मजदूरों को भविष्यनिर्वाह निधी आदि मांगो को लेकर लोकनेता गोपीनाथ मुंढे गन्ना कटाई मजदूर और ट्रान्सपोर्टर्स संगठन की ओर से हडताल का ऐलान किया था। संगठन के नेता और पूर्व एमएलए केशव आंधले ने प्रेस कोन्फेरेंस में हडताल वापस लेने की घोषणा की। आंधले ने कहा, हडताल पिछे ली है लेकिन सरकार से मांगे मनवाने की कोशिश जारी रहेगी।
महाराष्ट्र में चीनी उद्योग में गन्ना कटाई करनेवाले मजदूरों का एक बड़ तबका है, उन्होंने सरकार और चीनी मिलों के सामने उनकी मांगे रखी है, यह मांगे गन्ना सिझन के शुरू होने से पहले अगर पूरी नही की तो उन्होंने हड़ताल पे जाने की धमकी दी थी।
10.75 लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ना फसल
महाराष्ट्र में 20 अक्टूबर से कई चीनी मिलों ने अपना गन्ना क्रशिंग सीझन शुरू किया है। चीनी आयुक्त के अनुमान से, राज्य में 1,000 लाख टन गन्ना का क्रशिंग और 110-115 लाख टन चीनी उत्पादन होगा। इस साल राज्य में गन्ना क्षेत्र में वृद्धि हुई है, अब तकरीबन 10.75 लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ना फसल है।
राज्य में 7-8 लाख गन्ना कटाई मजदूर
महाराष्ट्र के चीनी मिलों में गन्ना कटाई के लिए ज्यादातर मजदूर मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट् से आते हैं। ये कटाई मजदूर आदिवासी समुदायों या ओबीसी वंजारी समुदाय से हैं। यह मजदूर राज्य के सूखे प्रवण क्षेत्रों से आते हैं और गन्ना कटाई से आनेवाली आय उनके कमाई का प्रमुख जरिया है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने सीजन शुरू होने से पहलेही मजदूरों के साथ वार्ता शुरू की है। यह बातचीत ठेकेदारों या मुकादमों के माध्यम से की जाती है, जिसके तहत क्रशिंग सीझन शुरू होने से पहले मजदूरों को एडवांस में राशि का भुगतान किया जाता है। मजदूरों को प्रति टन गन्ने के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इससे तकरीबन 7-8 लाख मजदूर जुड़ें है, जो चीनी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कल्याण बोर्ड स्थापना की दीर्घकालिक मांग
कल्याण बोर्ड की स्थापना गन्ना मजदूरों की दीर्घकालिक मांग रही है, जो इस तरह के बोर्ड का दावा करते हैं कि इस क्षेत्र के लिए कल्याणकारी नीतियों को निर्देशित करने में मदद मिलेगी। बार-बार मांग करने के बावजूद भी बोर्ड कार्यात्मक नहीं रहा है।