नई दिल्ली: आर्थिक तरलता की कमी से परेशान इथेनॉल का उत्पादन करने वाली चीनी मिलें अब तेल-विपणन कंपनियों (ओएमसी) और बैंकों के साथ त्रिपक्षीय समझौते में शामिल हो रही हैं, जिसके तहत उन्हें ओएमसी द्वारा जैव-ईंधन की प्रतिबद्ध खरीद के आधार पर ऋण प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी। इससे इथेनॉल की आपूर्ति को बढ़ाते हुए मिलों की तरलता की कमी की समस्या भी खत्म हो जाएगी।
फाइनेंसियल एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (NFCSF) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया की, चीनी मिलें ओएमसी को लक्षित मात्रा में इथेनॉल की आपूर्ति करेंगी, जबकि ओएमसी द्वारा मिलों को भुगतान एस्क्रो खाते में किया जाएगा। जिसके बाद बैंक ब्याज और लोन को वापस ले लेंगे, जबकि शेष रकम चीनी मिलों को मिलेगी।