लखनऊ: उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (UPSMA) ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह गन्ने की स्टेट एडवायजड़ प्राइस (SAP) में वृद्धि न करे क्योंकि इस वर्ष की गन्ने की फसल की रिकवरी पहले की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 में सत्ता में आने के बाद केवल एक बार ही एसएपी की बढ़ोतरी की है ।एसोसिएशन का कहना है कि, रिकवरी में गिरावट, डीजल में वृद्धि, लागत में वृद्धि से मिलों पर पहले ही आर्थिक बोज बना हुआ है, एसएपी बढ़ाने से हालत और भी खस्ता हो सकती है।
UPSMA के सचिव दीपक गुप्त के अनुसार, कम रिकवरी के साथ कई अन्य समस्याएं हैं, जो राज्य में चीनी उत्पादन को कम करती हैं। इसके अलावा, चीनी की अधिकतम बिक्री मूल्य 3,100 प्रति क्विंटल है, जिससें मिलें उत्पादन लागत भी नहीं वसूल रही हैं। गुप्ता ने कहा, राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की चीनी मिलों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, चीनी की रिकवरी लगभग 0.5- 0.8 प्रतिशत कम है। चिंता की बात यह है कि, पिछले सीजन में रिकवरी की तुलना में इस सीजन की दैनिक रिकवरी में अंतर और बढ़ सकता है।
हा, कॉरपोरेट तुम्हारे लिए डीज़ल महगा है।
और किसानों के लिऐ सस्ता है। फ्री में ही गन्ना क्यों नहीं ले लेते।
साला किसानों की मजबूरी कोई समझता ही नहीं है, अगर एक सत्र गन्ना किसानों ने सप्लाई बन्द कर दिया तो चीनी मिल मालिकों को अपनी औकात का पता चल जायेगा।
गन्ना किसान जिंदाबाद
कॉरपोरेट मुर्दा बाद
जय जवान जय किसान………………………………………..।