किसानों के लंबित बकाया भुगतान के दबाव के चलते भारतीय चीनी मिलों ने तीन साल में पहली बार सरकारी सब्सिडी के बिना निर्यात समझौते किये है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अक्टूबर से शुरू हुए नए सीज़न में अब तक मिलें 10,000 टन सफेद चीनी के अनुबंध कर चुके हैं। केंद्र सरकार अधिशेष चीनी की समस्या के चलते निर्यात को प्रोत्साहित करने और मिलों द्वारा गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद करने के इरादे से मिलों को निर्यात सब्सिडी देती है। इस वर्ष निर्यात सब्सिडी की घोषणा में देरी दिखती हुई नजर आ रही है। भारत ने 2020-21 सीज़न के लिए निर्यात कोटा अभी तक आवंटित नहीं किया है।
रायटर्स न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक, मुंबई के एक डीलर ने कहा, जब हम समग्र निर्यात मात्रा की तुलना करते हैं, तो 10,000 टन बहुत कम राशि होती है, लेकिन यह मिलों की हताशा को दर्शाता है। अगर सरकार सब्सिडी के फैसले में एक और महीने के लिए देरी करती है, तो आर्थिक संकट से परेशान कई मिलें व्यापारिक घरानों को चीनी की आपूर्ति शुरू कर सकती हैं।