2018 – 2019 सीझन में गन्ना और चीनी उत्पादन उम्मीद से होगा कम…

महाराष्ट्र, कर्नाटक में कम बारिश, सुखा और सफेद ग्रब की मार से फसल बेहाल
 
मुंबई : चीनी मंडी 
देश का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में इस साल गन्ने का क्षेत्र अधिक है, लेकिन कम बारिश और सफेद ग्रब उपद्रव से 2018 – 2019 सीझन में गन्ना और चीनी उत्पादन उम्मीद से कम होने की सम्भावना बनी हुई है। दूसरी ओर सरकार द्वारा इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देनें के प्रयास के कारण “बी” भारी गुड़ से इथेनॉल उत्पादन बढ़ेगा और उससे चीनी  रिकवरी और उत्पादन भी प्रभावित होगा। कोल्हापुर विभाग में किसान संघठनों के आन्दोलन की वजह से अभी तक चीनी मिले ठीक से शुरू नही हुई है, इस आन्दोलन का भी चीनी उत्पादन पर कुछ हदतक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
जून 2018 में ली गई उपग्रह छवियों के अनुसार महाराष्ट्र में गन्ना क्षेत्र 2017-18 सीझन  के मुकाबले लगभग 25% अधिक था । तदनुसार, ‘इस्मा’ ने 2018-19 में महाराष्ट्र में 11.0 से 11.5 लाख मेट्रिक टन  चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया था, जो  पिछले सीजन के 10.7 लाख मेट्रिक टन के वास्तविक चीनी उत्पादन के लिए थोड़ा अधिक था । लेकिन पिछले दो महीने में गन्ना फसल पर सफेद ग्रब का हमला होने से गन्ने की फसल बड़ी मात्रा में क्षतिग्रस्त हो चुकी है ।  कई जिले सूखे की मार झेल रहे है, जिसका सीधा असर गन्ना उत्पादन पर दिख सकता है ।
हालांकि, पिछले 2-3 महीनों के दौरान, महाराष्ट्र में अधिकांश गन्ना क्षेत्रों में बारिश पिछले वर्ष की समान अवधि के साथ-साथ अंतिम के सामान्य औसत से काफी कम रही है। उसके अलावा सफेद ग्रब ने अहमदनगर, सोलापुर और मराठवाड़ा के कई जिलों में और कोल्हापुर, सांगली, सातारा और पुणे में कुछ हद तक गन्ना  क्षेत्र को प्रभावित किया है । उपरोक्त जिलों के कुछ छोटे क्षेत्रों में, फसल इतनी गंभीरता से पीड़ित है कि किसानों ने उन्हें उखाड़ फेंक दिया है, कई जगह पर तो  फसल बची ही नहीं है ।
कम वर्षा और सफेद ग्रब उपद्रव के प्रभाव के कारण, महाराष्ट्र में गन्ना उपज 3-4 महीने पहले अनुमानित अनुमान के मुकाबले लगभग 16-18% की कमी होने की उम्मीद है । कम बारिश, सुखा और सफेद ग्रब के कारण महाराष्ट्र में इस साल गन्ना उत्पादन पहले अनुमानों से कम हो सकता है । महाराष्ट्र में कई चीनी मिलों ने पाणी की कमी के कारण इस साल क्रशिंग लाइसेंस के लिए भी आवेदन नही दिया है । कम चीनी उत्पादन के कारण अधिशेष चीनी की समस्या से निपटना सरकार और चीनी मिलों को थोडा आसान हो सकता है ।
SOURCEChiniMandi

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