मंत्रिमंडल ने देश में पहली पीढ़ी (1 जी) के इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए अनाजों (चावल, गेंहू, जौ, मक्का और जवार), गन्ना, चुकन्दर आदि से आसवन के जरिए इथेनॉल निकालने की क्षमता बढ़ाने के लिए एक संशोधित योजना को मंजूरी दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की आज हुयी बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। मिश्रण स्तर में वृद्धि से आयातित जैव ईंधन पर निर्भरता कम होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा। भट्टियों की क्षमता में वृद्धि/नयी भट्टियां लगाने से ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार अवसरों का सृजन होगा और इस तरह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।
इथेनॉल को बढ़ावा देने के लिए 4,573 करोड़ रुपये की एक इंट्रेस्ट सबवेंशन यानी ब्याजमाफी की योजना पेश की है। यह राहत इथेनॉल उत्पादन में लगे बड़े और छोटे सभी तरह के उद्योगों को मिलेगी।
इस प्रस्तावित कदम से विविध प्रकार के अनाजों से पहली पीढ़ी के इथेनॉल के उत्पादन में वृद्धि होगी, पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा और इथेनॉल को ऐसे ईंधन के तौर पर प्रोत्साहित किया जा सकेगा, जो स्वदेश में उत्पादित, गैर-प्रदूषणकारी और अक्षय होगा तथा जिससे पर्यावरण और इको-सिस्टम में सुधार होगा। इसके परिणामस्वरूप देश के तेल आयात व्यय की बचत की जा सकेगी। यह किसानों को उनके बकाये का समय पर भुगतान भी सुनिश्चित करेगा।
सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्य रखा है और सरकार इसके लिए सतत काम कर रही है।