नई दिल्ली : चीनी उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार, भारतीय चीनी मिलों ने चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी को मंजूरी देने के बाद आक्रमक तरीके से निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। वैश्विक स्तर पर कीमतें 3-1/2 वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, जिसका फायदा भारतीय मिलर्स को होगा। निर्यात में बढ़ोतरी से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चीनी उत्पादक देश भारत को भंडार में कमी लाने और स्थानीय बाजारों में भी कीमतें स्थिर रखने में मदद मिलेगी। मिलों ने 1 अक्टूबर से शुरू हुए 2020 – 21 के विपणन वर्ष में जनवरी से मार्च तक के लिए 1.5 मिलियन टन चीनी निर्यात के अनुबंध किये है, जो मुख्य रूप से इंडोनेशिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों में निर्यात करेंगे।
कॉन्ट्रैक्ट में शामिल तीन डीलरों ने सीधे एक ऑन-बोर्ड (एफओबी) आधार पर $ 375 और $ 395 प्रति टन के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। MEIR कमोडिटीज इंडिया के प्रबंध निदेशक राहिल शेख ने कहा, ज्यादातर अनुबंध कच्चे चीनी के लिए किए गए थे, जो इंडोनेशिया में जा रही है।इंडोनेशिया, जो पारंपरिक रूप से थाईलैंड से चीनी आयात करता है, चीनी आयात के लिए शुद्धता नियमों को बदलने के बाद 2020 में भारतीय चीनी खरीदना शुरू कर दिया।डीलरों ने कहा कि,1.5 मिलियन टन के निर्यात अनुबंधों में से लगभग 1 मिलियन टन कच्ची चीनी, जबकि शेष सफेद चीनी के लिए किये गये है।श्रीलंका, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देश कम मात्रा में सफेद चीनी खरीद रहे हैं, लेकिन कंटेनर की कमी के कारण मांग सीमित है।