नयी दिल्ली, 19 नवंबर: चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने सोमवार को कहा कि पिछले महीने शुरू हुए चालू विपणन वर्ष में 15 नवंबर तक भारत का चीनी उत्पादन 15 प्रतिशत घटकर 11.6 लाख टन रह गया है, क्योंकि चालू सत्र में कई चीनी मिलों ने अभी तक पेराई का काम शुरू नहीं किया है।
इस्मा ने पिछले महीने अनुमान लगाया था कि चालू 2018-19 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में उत्पादन पिछले वर्ष के रिकॉर्ड 3.25 करोड़ टन के मुकाबले घटकर 3.15 करोड़ टन रह सकता है।
इस्मा ने जुलाई में वर्ष 2018-19 में 3.55 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान लगाया था, लेकिन देश के कुल चीनी उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान करने वाले तीन प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की फसल गंभीर रूप से प्रभावित होने के बाद उसने अपने अनुमान को संशोधित कर उसे घटा दिया।
इस्मा ने बयान में कहा, “जैसा कि उम्मीद थी, चीनी सत्र 2018-19 के लिए पेराई का काम समय पर शुरू हो गया है। 15 नवंबर, 2018 को, 238 चीनी मिलें पहले ही गन्ने की पेराई कर रही थीं, जबकि पिछले साल 15 नवंबर, 2017 को 349 चीनी मिलें इसी समय तक गन्ने की पेराई कर रही थीं।’’
इसमें कहा गया है कि 15 नवंबर, 2018 को चीनी उत्पादन 11.6 लाख टन ही था, जो 15 नवंबर, 2017 को 13.7 लाख टन था।
इस वर्ष पेराई का काम देर से शुरू होने के कारण, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने 15 नवंबर, 2018 तक 1.76 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल 15 नवंबर तक उसने 5.67 लाख टन उत्पादन किया था।
हालांकि, महाराष्ट्र में समीक्षाधीन अवधि के दौरान चीनी उत्पादन बढ़कर 6.31 लाख टन हो गया जो पिछले साल की समान अवधि में 3.26 लाख टन का हुआ था। कर्नाटक में चीनी उत्पादन पहले के 3.71 लाख टन से घटकर इस बार 1.85 लाख टन रह गया है।
उत्पादन में गिरावट, चीनी मिलों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि उनके पास एक करोड़ टन का पीछे का स्टॉक बचा हुआ है। जबकि चीनी की वार्षिक घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन है।
चीनी मिलों को मौजूदा विपणन वर्ष में अनिवार्य रूप से 50 लाख टन चीनी का निर्यात करने के लिए कहा गया है ताकि अतिरिक्त स्टॉक को खत्म किया जा सके और किसानों के बकाये को निपटान किया जा सके।