नई दिल्ली : चीनी मंडी
पिछले कुछ दिनों से मीडिया में एक खबर चल रही है कि, अटॉर्नी जनरल ने भारत सरकार को कानूनी सलाह दी है, जिसमें उन्होने चीनी पर सेस लगाए जाने की बात कही है।
भारतीय चीनी उद्योग मांग कर रहा है कि, सरकार को देश भर में राजस्व फार्मूला साझा करना चाहीए, जिससे द्वारा गन्ना किसानों को आमदनी की गारंटी होगी। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एफआरपी की न्यूनतम कीमत और चीनी मिलों के अनुसार गन्ना मूल्य का भुगतान किया जाएगा।
रंगराजन कमेटी फॉर्मूला में कहा गया है कि, अगर चीनी की कीमतें अच्छी हैं और आरएसएफ के मुताबिक गन्ने की कीमत एफआरपी से ऊपर है, तो सीजन के अंत में किसानों को आरएसएफ और एफआरपी के बीच जो अंतर होगा, उसका दूसरी किश्त में भुगतान होगा। कुछ राज्यों ने कुछ साल पहले ही राजस्व साझा फॉर्मूला (आरएसएफ) लागू कर दिया है।
4 मई 2018 को आयोजित एक बैठक में भारत सरकार ने चीनी पर सेस लगाए जाने का प्रस्ताव रखा ।( 3 रुपये प्रति किलोग्राम जीएसटी परिषद से पहले 5% की जीएसटी से अधिक चीनी) जीएसटी परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी, लेकिन उसपर सहमति नहीं बनी थी, इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों (जीओएम) के समिती का गठन करने का निर्णय लिया गया था।
राज्यों के वित्त मंत्रीयों ने इस मामले को अटॉर्नी जनरल को अपने कानूनी सलाह के लिए संदर्भित किया। अब अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय आई है, अब देखना है कि जब ॠेच मिलेंगे और इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और जीएसटी परिषद को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे।