लखनऊ : चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को घोषणा की कि, राज्य का चीनी क्षेत्र अगले वर्ष से अधिक वाणिज्यिक व्यवहार्यता के लिए इथेनॉल और आसवन संयंत्रों की स्थापना का साक्षी होगा। चीनी बाजार की कमी और चीनी की गिरती कीमतों के कारण चीनी मिलों को नकद प्रवाह के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसने बैंकों को इस क्षेत्र को नकारात्मक सूची में रखने के लिए प्रेरित किया था।
यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि, 24 सहकारी चीनी मिलों को जल्द ही अतिरिक्त आसवन और बिजली उत्पादन इकाइयों से सुसज्जित किया जाएगा, ताकि वे अधिक व्यवहार्य बनें और स्थानीय स्तर पर अधिक नौकरियां पैदा कर सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि, चीनी क्षेत्र ने यूपी की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण समृद्धि में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि राज्य चीनी मिल परिसरों में अगले वर्ष से गन्ना के रस से इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए नई इकाइयां देखी जाएंगी। यह मिलों को बाजार की मांगों और आपूर्ति मैट्रिस के अनुसार अपने उत्पादन की योजना बनाने की अनुमति देगा। मुख्यमंत्री ने पिछली यूपी सरकारों को अपने शासनकाल के दौरान राज्य चीनी क्षेत्र के गड़बड़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि, पिछले 125-150 वर्षों में राज्य के गन्ना किसानों ने कृषि क्षेत्र की समृद्धि की दिशा में बडा योगदान दिया है । उन्होंने घोषणा की कि सभी 119 राज्य चीनी मिलें रविवार तक परिचालित हो जाएंगी, जबकि गोरखपुर और बस्ती जिले में अगले वर्ष से 2 अतिरिक्त मिलों को क्रशिंग लाइसेंस दिया जाएगा। अब तक, राज्य में लगभग 80 मिलें कार्यात्मक हैं। हमने गन्ना किसानों के लाभ के लिए इस वर्ष 50 नई खांदेशरी (अपरिष्कृत चीनी) लाइसेंस जारी किए हैं और मांग पर अधिक लाइसेंस जारी किए जाएंगे।
इस बीच, यूपी चीनी मिलों के पिछले सीजन 2017-18 के लिए गन्ना बकाया में 68 अरब रुपये का कर्ज है। इससे पहले, आदित्यनाथ ने मिलों के लिए 30 नवंबर की समयसीमा तय कर दी थी, हालांकि उन्होंने कई मौकों पर स्वीकार किया था कि वैश्विक चीनी की कीमतों में कमी के चलते चीनी क्षेत्र को आर्थीक संकट का सामना करना पड़ रहा था। उनकी सरकार ने 31 अक्टूबर को तय आवेदन की अंतिम तिथि के साथ निजी मिलों को सॉफ्ट लोन के रूप में 40 अरब रुपये का पैकेज घोषित किया था।