नई दिल्ली: पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी ने देश भर की चीनी मिलों से इथेनॉल की आपूर्ति को प्रभावित किया है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने कहा है कि, कुछ राज्यों में तेल विपणन कंपनियों (OMCs) को इथेनॉल की अधिक मात्रा लेने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं किया गया है। भले ही चीनी मिलों ने 2020-21 में लगभग 325 करोड़ लीटर की आपूर्ति का आवंटन किया हो, लेकिन ओएमसी द्वारा इथेनॉल खरीद में चीनी मिलें कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।
फाइनेंसियल एक्सप्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इस्मा के महानिदेशक अभिनव वर्मा ने कहा की, ऐसा लगता है कि OMCs और उनके डिपो इथेनॉल की अधिक मात्रा लेने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं।
खाद्य विभाग के सचिव को सौंपे गए पत्र में, ISMA ने कहा है कि वर्तमान आपूर्ति वर्ष 2021 के लिए लगभग 292 करोड़ लीटर इथेनॉल आपूर्ति अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिन्हें देश भर के विभिन्न डिपो में आवंटित किया गया है। हालांकि, इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं को अनुबंधों के अनुसार आपूर्ति के लिए डिपो और तेल कंपनियों से समय पर मासिक इंडेंट नहीं मिल रहे हैं। ISMA ने कहा कि, इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं ने अपने विनिर्माण सुविधाओं के करीब डिपो प्राप्त करने के लिए न केवल परिवहन की लागत को कम करने के लिए, बल्कि टैंकरों के टर्नअराउंड समय को कम करने और उनके इथेनॉल के लिए जल्दी भुगतान करने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा की है। हालांकि, OMCs द्वारा मांग की कुछ गलत गणना के कारण, देश में कई डिपो के लिए पहले से ही हस्ताक्षरित महत्वपूर्ण अनुबंधों को अन्य डिपो में स्थानांतरित किया जा रहा है। चीनी मिलों ने कहा कि, वे इथेनॉल की लंबी दूरी के परिवहन के लिए 3-5 रुपये प्रति लीटर तक नुकसान उठा रहे हैं।
महाराष्ट्र की चीनी मिलों ने यह भी शिकायत की है कि वे भंडारण के कारण केवल 50% ही इथेनॉल के आवंटित कोटा को ओएमसी को आपूर्ति कर पाई हैं।वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) ने कहा कि, मिलें पहली तिमाही में 28 करोड़ लीटर के आवंटित कोटा के मुकाबले केवल 10.52 करोड़ लीटर की आपूर्ति कर सकी हैं।
ओएमसी का कहना है की , पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण उनकी बिक्री कम हो गई है और उनके भंडारण टैंक भरे हुए हैं। इसलिए, वे भंडारण की उपलब्धता के अनुसार ही इथेनॉल खरीद पाएंगे।