नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को साफ तौर पर कहा कि, देश की सभी बैंकों का निजीकरण नहीं होगा, और जिनका निजीकरण होने की संभावना है, उन बैंकों के श्रमिकों के हितों की भी रक्षा होगी। उन्होने कहा, हमने एक सार्वजनिक उद्यम नीति की घोषणा की है, जहां हमने चार क्षेत्रों की पहचान की है जहाँ सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति होगी। इसमें वित्तीय क्षेत्र भी शामिल है। सभी बैंकों का निजीकरण नहीं होने जा रहा है। बैंकों के श्रमिकों के हित की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी, चाहे उनका वेतन हो या या पेंशन, सभी का ध्यान रखा जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में दिया है, जब देश भर के कई बैंकों ने निजीकरण के खिलाफ 15-16 मार्च को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (जो कि नौ बैंक यूनियनों की एक शिखर संस्था है) के 10 लाख से अधिक बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने प्रतिगामी बैंकिंग सुधारों के खिलाफ 15 और 16 मार्च को दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। सीतारमण की बजट घोषणा के बाद हड़ताल हुई, जहां उन्होंने सरकार के विनिवेश अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की, जिससे 1.75 लाख करोड़ रुपये की आय हुई।