कोल्हापुर: वर्तमान पेराई सत्र के दौरान राज्य रिकॉर्ड चीनी उत्पादन की ओर बढ़ रहा है, मिलें अब तक 900 लाख टन से अधिक गन्ने की पेराई कर चुके हैं। इसके साथ राज्य पिछले एक दशक से गन्ना पेराई और चीनी उत्पादन के अपने रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। चीनी आयुक्त के कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य भर की मिलों ने 24 मार्च तक 939 लाख टन गन्ने की पेराई की और 979 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है। पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा पेराई 2018-19 में हुई थी, तब मिलों ने 953 मीट्रिक टन गन्ने की पेराई की थी। 2016-17 में सबसे कम गन्ना पेराई दर्ज की गई थी, तब केवल 373 लाख टन गन्ने की पेराई की गई थी। सूखे जैसी स्थिति के कारण किसान उस साल गन्ने की फसल से दूर रहे।
पिछले पेराई सत्र में महाराष्ट्र ने 15 मार्च तक 464 लाख टन गन्ने की पेराई की थी। हालांकि, इस साल की तुलना में पिछले साल पेराई गतिविधि में शामिल मिलों की संख्या कम थी। पिछले साल पेराई सत्र में 144 मिलें शामिल थीं, जबकि इस वर्ष यह संख्या बढ़कर 188 हो गई है। चीनी विशेषज्ञ पीजी मेढे ने कहा कि, राज्य भर में अच्छी बारिश के कारण और बंपर गन्ने के उत्पादन के कारण पेराई के लिए मिलों की संख्या बढ़ गई है। महाराष्ट्र में वर्तमान में गन्ने की खेती के तहत लगभग 11 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले वर्ष लगभग आठ लाख हेक्टेयर था।
राज्य 953 लाख टन के रिकॉर्ड को पार करने के लिए तैयार है, क्योंकि कई चीनी मिलें अभी भी गन्ने की पेराई कर रही हैं। चालू सत्र के लिए पेराई के लिए लाइसेंस प्राप्त करने वाली 188 चीनी मिलों में से केवल 61 मिलों ने पेराई बंद कर दी है।