लाहौर: चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी करनेवाली आठ और प्रमुख चीनी समूहों पर संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने कार्रवाई की। एफआईए ने पिछले एक साल में चीनी सट्टेबाजों द्वारा चीनी की दरों में बढ़ोतरी के माध्यम से लगभग 11 अरब की कमाई का पता लगाया है और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है क्योंकि एफआईए का कहना है कि वह सट्टा-एजेंटों से बरामद लगभग तीन दर्जन मोबाइल फोन और लैपटॉप उपकरणों के फॉरेंसिक ऑडिट के परिणामों का इंतजार कर रहा है।
एफआईए पंजाब (जोन-एक) के निदेशक डॉ मुहम्मद रिजवान ने बताया कि, हम बिना किसी अपवाद के चीनी समूहों और सट्टा-एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। यह एक बड़े पैमाने पर वित्तीय अपराध है और गरीब जनता इसके शिकार होते हैं। उन्होंने कहा, एक बार जब हमें फोरेंसिक सबूतों की रिपोर्ट मिलेगी तो गिरफ्तारी की जाएगी। जवाबदेही और आंतरिक मामलों में प्रधानमंत्री के सलाहकार शहजाद अकबर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, अभी मामले दर्ज किए जा रहे हैं और बाद में गिरफ्तारियां की जाएंगी। एफआईए निदेशक ने कहा कि, एजेंसी इस संबंध में बैंक लेनदेन की भी जांच कर रही थी। उन्होंने कहा, काले धन का इस्तेमाल सट्टा मूल्य निर्धारण के कारोबार में किया जाता है और लाहौर, मुल्तान, फैसलाबाद, रावलपिंडी, हसिलपुर और बहावलपुर के 10 प्रमुख चीनी समूह इस अपराध में शामिल हैं।