मुंबई : लगभग पांच साल के बाद, महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश (यूपी) से आगे निकल गया है। यूपी के 96 लाख टन के मुकाबले महाराष्ट्र ने मार्च के अंत तक 100 लाख टन चीनी का उत्पादन आंकड़ा पार कर लिया है। महाराष्ट्र में 105-107 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है, जबकि यूपी में उत्पादन सीजन के अंत में 105 लाख टन को छूने की उम्मीद है।
फाइनेंसियल एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ के एमडी प्रकाश नाईकनवरे ने कहा कि, co -0238 गन्ना किस्म के कारण यूपी महाराष्ट्र से आगे निकल गया था। इस किस्म का 2012 से यूपी के लगभग पूरे चीनी क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए, यूपी ने 2016-17 से 2019-20 तक महाराष्ट्र की तुलना में अधिक चीनी का उत्पादन किया। इस किस्म ने यूपी मिलों को बेहतर टन उत्पादन और अधिक रिकवरी दी।
उन्होंने कहा, यूपी सरकार ने 10 किलोमीटर के दायरे में गुड़ फैक्ट्रियों को अनुमति देने का निर्णय लिया है और गन्ना को इथेनॉल और खांडसारी के लिए डायवर्ट किया गया है। नाईकनवरे ने कहा कि, कोई भी गन्ने की किस्म छह से आठ साल से ज्यादा अच्छा नतीजा नहीं देती है और इसलिए यूपी में उत्पादन घट रहा है। गन्ने का उत्पादन और रिकवरी में भी गिरावट देखि जा रही है। नाइकनवरे ने कहा कि, गन्ना उत्पादन में यूपी का दबदबा कायम रहेगा, क्योंकि यूपी में पानी की व्यवस्था अच्छी है और महाराष्ट्र के विपरीत, नलकूपों से सिंचाई होती है, जो बारिश पर निर्भर है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के महानिदेशक, अविनाश वर्मा ने कहा कि, ISMA के अनुमान के अनुसार, इस मौसम में यूपी और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में लगभग 105 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि, खांडसारी और गुड़ के प्रति गन्ने का डायवर्जन महाराष्ट्र की तुलना में यूपी में अधिक है और दोनों राज्यों में लगभग 6.5 लाख टन गन्ने को इथेनॉल उत्पादन की ओर मोड़ने की संभावना है।