रावलपिंडी: खुले बाजार से चीनी मानो गायब हो गई है, क्योंकि खुदरा विक्रेताओं ने सरकारी रेट पर नुकसान में चीनी बेचने से इनकार कर दिया है। 80 प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता चीनी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन शहर और छावनी बोर्ड इलाकों में शुक्रवार को खुले बाजार से चीनी की खरीद करने में विफल रहे। अधिकांश दुकानदारों द्वारा उपभोक्ताओं को सूचित किया कि, उन्होंने चीनी बेचना बंद कर दिया है, या दुकान पर चीनी उपलब्ध नहीं है।
रावलपिंडी जनरल स्टोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वरिष्ठ प्रतिनिधि नसीर शाह, मुहम्मद ज़ुबैर, अख्तर खान, दिल नवाज़, राशिद महमूद शेख, मुहम्मद सद्दीक, साजिद महमूद और कई लोगों ने बताया कि, वे 1 किलोग्राम चीनी थोक बाजार से 106 रूपये में खरीद रहे हैं, और ऐसे में हम इसे 85 रुपये में कैसे बेच सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि, स्थानीय प्रशासन लगातार एफआईआर दर्ज करके और नियमित आधार पर जुर्माना लगाकर उन्हें परेशान कर रहा है इसलिए उन्होंने चीनी बेचना बंद करने का फैसला किया है।
ऑल पाकिस्तान ट्रेडर्स एसोसिएशन (पंजाब) के अध्यक्ष शारजील मीर ने भी कहा कि, चीनी खुले बाजार से गायब हो गई। उन्होंने कहा, ‘खुदरा दुकानदार 106 रुपये किलो की चीनी को 85 रुपये में कैसे बेच सकते हैं। उन्होंने दावा किया की, स्थानीय प्रशासन जबरदस्ती खुदरा दुकानदारों को चीनी को नुकसान में बेचने पर मजबूर कर रहा है, इसलिए खुदरा दुकानदारों ने चीनी बेचना ही बंद कर दिया। अगर सरकार वास्तव में जनता को किसी तरह की राहत देना चाहती है, तो उन्हें हर घर में 585 रुपये के हिसाब से 5 किलोग्राम का पैकेट भेजना चाहिए। सरकार केवल जनता के साथ मजाक कर रही है।