बिजनौर: उत्तर प्रदेश में 119 में से कम से कम 95 चीनी मिलों का मौजूदा पेराई सत्र बंद हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी मिलों द्वारा गन्ना बकाया अभी भी बाकी है। लंबित बकाये के चलते किसान गन्ने की फसल के बाद बोई गई अन्य फसलों की देखभाल करने में असमर्थ हैं। डीजल की बढ़ती कीमतें किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, जिन्हें जनरेटर और ट्रैक्टर की मदद से भूमि की सिंचाई करनी पड़ती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आजाद किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा, सरकार समय पर गन्ने का भुगतान करने में विफल रही है। अगले पेराई सत्र के लिए गन्ने की फसल की अच्छी पैदावार करने के लिए किसानों के पास पैसा नहीं है। डीजल और उर्वरकों की कीमतों ने हालातों को और कठिन बना दिया है। इसके अलावा, बिजली दरों में भी वृद्धि हुई है। पिछले कुछ वर्षों में गन्ने का एसएपी नहीं बढ़ाया गया। पेराई सत्र समाप्त होने जा रहा है और भुगतान अभी भी लंबित है। सरकार को समय पर बकाया भुगतान नहीं करने वाले मिल मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। सिंह ने कहा कि अगर मिल मालिक वित्तीय कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं, तो वे ऋण ले सकते हैं। मिलों ने सैनिटाइजर निर्माण और गुड़ बिक्री में लाभ कमाया है।