विशाखापट्टनम: इस सीजन में जिले की तीन चीनी मिलों में गन्ने की पेराई काफी गिर गई है, जो किसानों और मिल मालिकों के लिए गंभीर संकट की ओर इशारा करता है। उत्तरी आंध्र प्रदेश में जहां पांच चीनी मिलें हैं, वहां के किसान वैकल्पिक फसलों की ओर मुड रहे हैं क्योंकि उन्हें उन चीनी मिलों से न तो कुछ लाभ मिला है और न ही उनका लंबित भुगतान हुआ है। वास्तव में, हाल के वर्षों में जिले में गन्ने की खेती की मात्रा आधी हो गई है। पहले 40,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में होनेवाली गन्ने की खेती अब 20,000 हेक्टेयर में की जाती है।
हर सीजन में सबसे ज्यादा गन्ना पेराई के लिए जानी जाने वाली गोवदा चीनी मिल पिछले कुछ सालों से अपने पेराई लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाई है। क्रशिंग पांच लाख टन से गिरकर चार लाख टन से नीचे आ गई है। किसानों के सामने गन्ना भुगतान की समस्या बनी रहती है। बहुसंख्यक किसान मिलों को कम मात्रा में गन्ने की आपूर्ति कर रहे हैं और गुड़ व्यापारियों को गन्ना बड़ी मात्रा में बेच रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सभी तीन चीनी मिलें के पास 30,000 किसानों का लगबग 10 करोड़ रुपये बकाया है। अकेले गोवदा मिल के पास मदुगुला और चोडावरम के दो विधानसभा क्षेत्रों में आठ मंडलों के 20,000 किसानों का भुगतान लंबित है। एटिकोप्पका मिल जो प्रत्येक सीजन में 1.25 लाख टन के गन्ने की पेराई करती है, इस सीजन में मिल के पेराई में 32,000 टन की भारी गिरावट देखी गई है। टंडवा चीनी मिल जो दो लाख टन के करीब को पेराई करती थी, अब उसकी पेराई 40,000 टन तक सिकुड़ गई है।