लखनऊ / मुंबई: उत्तर प्रदेश ने कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के लिए जरुरी ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए महाराष्ट्र की तरह अपनी चीनी मिलों में ऑक्सीजन उत्पादन करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में धाराशिव चीनी मिल ने इथेनॉल प्लांट में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए देश का पहला परीक्षण शुरू कर दिया है। इस परीक्षण के बाद, इसे राज्य के लगभग सभी चीनी मिलों में अपनाया जाएगा। महाराष्ट्र में 195 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 137 में इथेनॉल प्लांट हैं। ऑक्सीजन उत्पादन शुरू होने के बाद महाराष्ट्र का ‘चीनी बेल्ट’ फिर ‘ऑक्सीजन बेल्ट’ में बदलने की संभावना है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के आबकारी, चीनी उद्योग, गन्ना विकास विभाग और चीनी आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने कहा की, हम अपने राज्य के आबकारी स्वामित्व वाले डिस्टलरी सह इथेनॉल प्लांट में से 15 जगह ‘उस्मानाबाद पैटर्न’ लागू कर रहे हैं। हमने उन प्लांट के माध्यम से 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा हैं। भूसरेड्डी ने कहा कि, वे महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पायलट प्रोजेक्ट के घटनाक्रम और इसकी व्यवहार्यता को जानने के लिए केंद्र सरकार के अधिकारी भी धाराशिव चीनी मिल अधिकारियों के पास पहुंच गए हैं। वसंतदादा पाटिल शुगर इंस्टीट्यूट के अल्कोहल टेक्नोलॉजी और जैव ईंधन विभाग के प्रमुख और तकनीकी सलाहकार प्रोफेसर संजय पाटिल ने कहा कि, यूपी के चीनी आयुक्त ने उस्मानाबाद पायलट परियोजना का विवरण मांगा था और उन्होंने उनसे साझा किया था। धाराशिव चीनी मिल के मालिक अभिजीत पाटिल ने कहा, हम उत्पादन के लिए तैयार हैं, बस मेडिकल क्लीयरेंस का इंतजार कर रहे हैं कि उत्पादित ऑक्सीजन मेडिकल ग्रेड की है और मेडिकल उपयोग के लिए फिट है। उन्होंने कहा कि, ताइवान से उपकरण मिलने में देरी से उत्पादन में कम से कम तीन दिन की देरी हुई है। मिल से रोजाना 20 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन की उम्मीद है।