सिमुलिया: करीब 30 साल पहले बालासोर जिले के सिमुलिया प्रखंड में कई किसान गन्ना उगाते थे। हालांकि, कई कारणों के वजह से किसानों ने इस नकदी फसल की खेती छोड़ दी थी। अब एक बार फिर क्षेत्र में किसान गन्ने की खेती की तरफ मुडे है। हरिसिंहपुर पंचायत के सैकड़ों किसानों ने 30 साल बाद गन्ने की खेती फिर से शुरू की है, हालांकि, इस साल फसल को पांच महीने की देरी हुई है। किसानों को आशंका है कि, नकदी फसलों को उगाने में देरी से उपज कम हो सकती है। कन्साबंसा नदी के किनारे कृषि भूमि के विशाल खंड नकदी फसलों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपजाऊ हैं, जबकि स्थानीय जलवायु स्थिती गन्ना उगाने के लिए उपयुक्त है।
किसानों द्वारा गन्ने की खेती फिर से शुरू करने का दूसरा कारण यह है कि, हर साल कंसबंसा नदी के किनारे अंकुला, कबीरपुर और हरिसिंहपुर में सैकड़ों एकड़ में धान नष्ट हो जाता है। धान की खेती को हुए भारी नुकसान के कारण किसानों ने सैकड़ों एकड़ भूमि को बंजर छोड़ दिया है। बाढ़ ने किसानों की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। स्थानीय किसानों ने कहा कि, गन्ना उगाना धान किसानों के लिए एक वैकल्पिक आजीविका है। जलोढ़ मिट्टी गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त है। पिछले साल छह किसानों के गन्ने की खेती करने में दिलचस्पी दिखाई थी। उन्होंने कृषि एवं उद्यान विभाग के कार्यालय से संपर्क किया। कृषि विभाग द्वारा किसानों को मदद का आश्वासन दिए जाने के बाद उन्होंने शुरू में 10 एकड़ में गन्ने की खेती की।