बेलगावी: पिछले पेराई सत्र (जुलाई, 2020 से जून 2021 तक) के दौरान लाखों गन्ना उत्पादकों ने राज्य के सभी 64 चीनी मिलों को अपनी उपज की आपूर्ति की, लेकिन मिलों ने अभी तक 450 करोड़ रुपयों के लंबित बिलों का भुगतान नहीं किया है। किसानों का कहना है की पिछले एक साल से वे कोरोना महामारी के कारण संकट में हैं, इसके बावजूद मिलों ने बिलों का भुगतान नहीं किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, इस साल 31 मई तक मिलों पर गन्ना उत्पादकों का 450 करोड़ रुपये बकाया था।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कई किसान नेताओं ने सरकार से सभी लंबित बकाया को जारी करने में मदद करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि, राज्य सरकार को उन मिलों द्वारा उत्पादित सभी चीनी को जब्त कर लेना चाहिए, जिन्होंने लंबित बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है, और जब्त चीनी की तुरंत नीलामी करें। गन्ना किसान नेता शशिकांत जोशी ने कहा, गन्ना नियंत्रण अधिनियम 1966 के अनुसार, मिलों में गन्ना प्राप्त होने के 14 दिनों के भीतर बिलों का निपटान करना अनिवार्य। यदि भुगतान में कोई देरी होती है, तो मिलों को कुल भुगतान पर 15 प्रतिशत ब्याज दर के साथ बिलों का भुगतान करना चाहिए।’