नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने शुक्रवार को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) को पानीपत सहकारी चीनी मिल से वायु और जल प्रदूषण के लिए 4.13 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि नियमों के पालन के लिए अवसर दिए जाने के बावजूद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मिल को बंद करने और बिजली आपूर्ति रोकने के लिए दंडात्मक कदम नहीं उठाए। पीठ ने कहा कि मिल को जुर्माना भुगतान के लिए निर्देश देने के बजाए मुद्दे पर उपायुक्त को सिफारिश की गयी।
ट्रिब्यूनल ने पहले कहा था कि हरियाणा में पानीपत को-ऑपरेटिव शुगर और डिस्टिलरी इकाइयों के कामकाज में पर्यावरणीय मानदंडों का गंभीर उल्लंघन हुआ है।
हरित पैनल ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि जब तक उपचारात्मक उपायों को नहीं अपनाया जाता है और एसपीसीबी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक संयुक्त समिति उन्हें प्रमाणित नहीं करती है, तब तक इकाइयां काम करना शुरू नहीं करती हैं।
ट्रिब्यूनल पानीपत सहकारी चीनी मिलों की चीनी और डिस्टिलरी इकाइयों के कारण होने वाले प्रदूषण के खिलाफ पार्षद प्रमोद देवी और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
याचिका में कहा गया है कि इकाइयां पुराने बॉयलरों का उपयोग कर रही हैं जो ठीक से काम नहीं करते हैं जिसके परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण होता है।
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