जुलाई के अंत में हुई बारिश ने पहली छमाही की कमी को किया पूरा, खरीफ फसलों के लिए फायदेमंद

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में जुलाई में हुई भारी बारिश ने राज्य में पिछले महीने की पहली छमाही में हुई बारिश की कमी को पूरा कर दिया है। साथ ही यह बारिश खरीफ फसलों के लिए फायदेमंद साबित हुई है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में इस मानसून में 1 अगस्त तक 3% अधिक बारिश हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि, ये बारिश राज्य में खरीफ फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेगी। गन्ना किसानों की तुलना में धान किसानों को अधिक लाभ होगा। धान को पहले 50 दिनों में अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार मानसून की बारिश से इस फसल को मदद मिलेगी और नलकूपों पर निर्भरता कम होगी।

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आईएमडी के अधिकारियों ने कहा कि, उत्तर प्रदेश में जुलाई के पहले पखवाड़े में बारिश की कमी थी और इसके बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के रुकने के कारण कम बारिश हुई। हालांकि, राज्य भर से अच्छी बारिश की सूचना के साथ, पिछले दो हफ्तों में स्थिति बदल गई है। रविवार तक, यूपी में 380 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो कि 369 मिमी की सामान्य वर्षा से 3% अधिक है। यूपी के 75 में से 50 जिलों में सामान्य या अधिक बारिश दर्ज की गई और केवल 25 जिलों में सामान्य से थोड़ी कम बारिश दर्ज की गई।

आईएमडी के आंकड़ों से पता चला है कि पश्चिमी यूपी के जिलों में पूर्वी यूपी के जिलों की तुलना में थोड़ी कम बारिश हुई है। पश्चिमी यूपी में 1 जून से 1 अगस्त तक औसत बारिश 310 मिमी दर्ज की गई, जो सामान्य से केवल 7% कम है। 7 जुलाई तक इस क्षेत्र में सामान्य से 35 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। पूर्वी यूपी के जिलों में 1 जून से 1 अगस्त के बीच 427 मिमी बारिश दर्ज की गई और यह 398 मिमी की सामान्य बारिश से 7% अधिक है।

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