नई दिल्ली : चीनी मंडी
चीनी उद्योग को विभिन्न उपायों की पेशकश करके विदेशी बिक्री के लिए केंद्र सरकार के दबाव के बावजूद रुपये के मजबूत होने और वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण भारत का चीनी निर्यात लक्ष्य से बहूत कम लग रहा है। पिछले साल के 10000 करोड़ की तुलना में पहले से ही लगभग 15000 करोड़ रूपये तक पहुँच चुके गन्ना बकाया को देखकर केंद्र सरकार निराश दिख रही है। आम चुनाव में ‘गन्ना बकाया’ मुद्दा अहम होने की संभावना बनी हुई है ।
‘लघु मार्जिन’ मुद्दा हल होने की कगार पर…
‘लघु मार्जिन’ के मुद्दे के कारण मिलर्स निर्यात करने में असमर्थ रहे हैं, जो पहले से ही हल होने की कगार पर है। राज्य सहकारी बैंक ने केंद्र से निर्यात सब्सिडी प्राप्तियों के खिलाफ राज्य में मिलों को ऋण देने का फैसला किया है। इससे बैंकों को निर्यात के लिए मिलों द्वारा गिरवी रखी गई बड़ी मात्रा में चीनी स्टॉक मुक्त करने में मदद मिलेगी। अब इस समय जब उद्योग को न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की उच्च उम्मीदें हैं, तो दूसरी तरफ उद्योग अभी भी इस तथ्य के साक्षी नहीं हैं कि यदि एमएसपी को बढ़ाया जाता है, तो निर्यात में की आ सकती है, क्योंकी विश्व बाजार सेजादा किमत घरेलू बाजार से मिल सकती है।
विश्व बाजार में अभी भी निर्यात का अवसर : नाईकनवरे
नॅशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा की, हाँ, इसमें दो भाग हैं, यदि एमएसपी को बढ़ाया जाता है, तो मूल्य समानता को नुकसान होगा। लेकिन फिर भी विश्व बाजार में अभी भी एक अवसर बना हुआ है, अगर ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया के चीनी से पहले मार्च / अप्रैल के लिए निर्यात अनुबंधों के लिए बाजार में निर्यात किया जाता है, तो भारत की चीनी को अच्छा दाम मील सकता है।
मिलों की नकदी तरलता में सुधार की आवश्यकता…
इस बिंदु पर जब हम चुनावी वर्ष के दौरान गन्ना बकाया के आंकड़े देख रहे हैं। भी, मिल स्तर पर नकदी तरलता में सुधार करने की आवश्यकता है, और इसे बढ़ाने का एकमात्र तरीका एमएसपी में बढ़ोतरी के माध्यम से है। इस स्थिति में संतुलन बनाने के लिए नुकसान पर भी निर्यात करने के लिए मिलर्स को मजबूर करने के साथ-साथ एमएसपी में वृद्धि करके हासिल किया जा सकता है।
नाईकनवरे ने आगे कहा की, सरकार ने अनिवार्य निर्यात की दिशा में पहले से ही सही कदम उठाए हैं और मासिक रिलीज तंत्र की अधिसूचना के माध्यम से मिलरों को चेतावनी दी है। आदर्श रूप से, यदि एमएसपी को बढ़ाया जाता है और दुसरी तरफ मिलर्स को चीनी निर्यात करने के लिए सख्ती से मजबूर किया जाता है, तो यह उद्योग के वर्तमान परिदृश्य को बेहतर बनाने में एक सुनहरा साधन साबित होगा।
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