मुंबई: नेशनल फेडरेशन ऑफ़ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश नाईकनवरे ने कहा की, पिछले चार पांच सालों में चीनी का अतिरिक्त उत्पादन, अधिशेष चीनी, बँको के बढते लोन से परेशान चीनी मिलों को इस साल कुछ हदतक राहत मिली है। इस साल चीनी उद्योग के सामने मुनाफा कमाने के मौके नजर आ रहें है। यह माहोल तैयार होने के पिछे कई कारक जिम्मेदार है, जिसमें केंद्र सरकार की एथेनॉल सम्मिश्रण निती सबसे बडा मौका बनकर सामने आई है। यह निती चीनी उद्योग को घाटे से मुनाफे की तरफ ले जानेवाली सबसे अहम कदम है। उन्होंने दावा किया कि, एथेनॉल उत्पादन को बढावा देने से पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के जीवन पर भी बेहतर प्रभाव पड़ रहा है।
नाईकनवरे ने कहा, हमने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प लिया है। इससे चीनी मिलों के राजस्व में बढोतरी होगी, और साथ ही किसानों का भुगतान भी मिलों द्वारा समय पर होगा। उन्होंने आगे का कि, हमने अगर 8.5 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया, तो लगभग 20 लाख टन चीनी अधिशेष स्टॉक से कम हो सकती है। 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने से लगभग 35 लाख टन चीनी की मात्रा कम होती है, और जब हम 20 प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल करेंगे, तब 60 लाख टन चीनी का इस्तेमाल एथेनॉल उत्पादन के लिए होगा। अधिशेष चीनी की समस्या को खत्म करने के लिए एथेनॉल सम्मिश्रण नीति फायदेमंद साबित हो रही है।