कोलकाता, 17 जनवरी (भाषा) देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकार मात्रा के लिहाज से बढ़ रहा है, ऐसे में अर्थव्यवस्था में अधिक मुद्रा की जरूरत होगी। भारतीय रिजर्व बैंक के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
नवंबर, 2016 में सरकार ने 500 और 1000 के बड़े नोट बंद किए थे। उसके बाद प्रणाली में नकदी कम हो गई थी। अधिकारी ने कहा कि जीडीपी की वृद्धि दर बढ़ने के बाद अब प्रणाली में अधिक मुद्रा की जरूरत है।
नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने 500 का नया नोट जारी किया था। इसके साथ ही 2000 का नोट भी पेश किया गया था।
केंद्रीय बैंक के अधिकारी ने कहा कि प्रणाली में जाली नोटों में काफी कमी आई है। जो भी जाली नोट अभी प्रणाली में हैं वे काफी हल्के-फुल्के रूप में हैं।
अधिकारी ने बताया कि बैंक घरेलू मुद्रा में अधिक सुरक्षा उपायों को जारी करेगा। इसके लिए पात्रता पूर्व का निविदा नोटिस निकाला गया है।
गैर -बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बारे में एक अन्य अधिकारी ने कहा कि रिजर्व बैंक जमा लेने वाली एनबीएफसी के लिए बैंकिंग लोकपाल नियुक्त करेगा। इसके साथ ही डिजिटल लोकपाल भी होगा। अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय रणनीति पर काम कर रहा है।
रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जिससे उन्हें बैंक ऋण बिना किसी परेशानी के मिल सके।
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