बढ़े हुए चीनी उत्पादन के साथ चिंता भी बढ़ गई; एफआरपी बकाया के कारण किसान भी काफी परेशान है ।
मुंबई : चीनी मंडी
महाराष्ट्र की चीनी गोदामों में इस वक़्त 72 लाख टन चीनी का ‘स्टॉक’ अधिशेष है । यह स्टॉक लगातार बढ़ रहा और स्टॉक के साथ साथ किसानों का एफआरपी बकाया भी बढ़ रहा है । सरकार, चीनी मिलें और किसान यह सभी इससे परेशानी में है और कोई हल भी नजर नही आ रहा है । चीनी की कीमतों में गिरावट और बैंकों से चीनी की ऐवज में मिलनेवाला कम ऋण से किसानों का भुगतान करने में मिलों के सामने दिक्कत पैदा हो रही है । वर्तमान स्थिति में, राज्य में चीनी का स्टॉक 72.57 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है।
1 अक्टूबर, 2018 को राज्य में वर्ष 2018-19 का गन्ना पेराई सत्र शुरू हो गया। उस समय चीनी का पिछले सीझन का स्टॉक 53.36 लाख मीट्रिक टन था, जबकि पिछले तीन महीनों में, अक्टूबर और दिसंबर 2018 के बीच 44.04 लाख मीट्रिक टन टन चीनी उत्पादन हुआ है। यानी कुल चीनी का उत्पादन 97.40 लाख मेट्रिक टन के करीब पहुँच चूका है, जबकि चीनी निर्यात में कमी के कारण केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित प्रति माह चीनी कोटा भी बिक्री नही हो पा रहा है।
राज्य चीनी आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर के तीन महीनों में केवल 24.83 लाख मीट्रिक टन चीनी बेची गई है। 31 दिसंबर 2018 के अंत तक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में शिल्की चीनी की शेष राशि 72.57 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई है। चीनी आयुक्त की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल गन्ना पेराई लगभग 600 लाख मीट्रिक टन है। इसमें से लगभग 64 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया गया है।
हालांकि, दिसंबर महीने का चीनी उत्पादन, बिक्री और भंडार की जानकारी अभी हमारे पास है, लेकिन जनवरी के 25 दिनों में 20 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ है । यानी चीनी का कुल उत्पादन 90 लाख टन तक पहुंच गया है। सूत्रों ने कहा कि, चीनी की बिक्री का आंकड़ा स्पष्ट होने के बाद अधिशेष चीनी की सही स्थिति का पता चल जाएगा।
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