कोल्हापुर : जिले की चीनी मिलों को जुलाई में आई बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों के गन्ना कटाई के संबंध में गांवों के अनुसार योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए है। सांसद धैर्यशील माने के आग्रह पर जिला कलेक्टर राहुल रेखावर ने कोल्हापुर की सभी चीनी मिलों के प्रबंध निदेशकों की बैठक बुलाई थी। रेखावार ने कहा कि, मिल मालिकों का यह नैतिक दायित्व है कि वे बाढ़ से प्रभावित गन्ने की कटाई और पेराई को प्राथमिकता दें। बाढ़ के कारण 60,000 हेक्टेयर से अधिक गन्ने का रकबा क्षतिग्रस्त हो गया है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सांसद माने ने ‘टीओआई’ से बात करते हुए कहा, मिल मालिकों ने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया है और पहले बाढ़ प्रभावित गन्ने के पेराई के लिए सहमत हो गए हैं। मिल मालिकों को शेड्यूल जमा करने को कहा गया है कि, वे अपने क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव से गन्ने की कटाई और पेराई कब करेंगे। माने ने कहा कि, मिल मालिकों ने कुछ वास्तविक चिंताएं उठाईं जैसे बाढ़ वाले क्षेत्रों में सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के कारण श्रमिक खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। मशीनरी और वाहन खेतों तक नहीं पहुंचेंगे। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त गन्ने से चीनी की कम रिकवरी होती है और इसलिए मिल मालिकों ने कहा कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 20% और गैर-बाढ़ वाले क्षेत्रों से 80% गन्ने की पेराई करेंगे। माने ने कहा, हम चाहते हैं कि मिल मालिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से कम से कम 40% गन्ने की पेराई करें। बाढ़ प्रभावित अधिकांश गन्ने के खेत नदी के किनारे हैं। नदी के किनारे के गन्ने की रिकवरी दर सबसे अधिक होती है, जिसका अर्थ है कि वे गन्ने से अधिक चीनी का उत्पादन करते हैं। इस बीच, मिल मालिकों ने दावा किया कि, क्षतिग्रस्त गन्ने के पेराई कारण चीनी का कुल उत्पादन कम होगा और यह किसानों को भुगतान करने के लिए बैंक से ऋण प्राप्त करने की मिलों की क्षमता को भी प्रभावित करेगा।