पंजाब में गन्ने पर कीट का प्रकोप; फसल प्रभावित

चंडीगढ़ : पंजाब के गन्ना उत्पादकों के बीच अब तक का सबसे अधिक गन्ना मूल्य मिलने की खुशी कम हो गई है क्योंकि टॉप बोरर के हमले से गन्ना फसल प्रभावित हुई है। गन्ना पेराई का मौसम आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया है, और किसानों ने फसल की कटाई शुरू की है।

द ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर के मुताबिक, दसूया, टांडा और गुरदासपुर के कुछ हिस्सों में किसान फसल की कम उपज से निराश हैं। इस साल की शुरुआत में 448 एकड़ में लाल सड़न का हमला हुआ था। इससे गुरदासपुर, होशियारपुर, अमृतसर, जालंधर, पठानकोट जिलों और लुधियाना के कुछ हिस्सों में गन्ना खेती प्रभावित हुई।

दोआबा किसान समिति के अध्यक्ष और गन्ना उत्पादक जंगवीर सिंह चौहान ने कहा, यदि पहले गन्ने की उपज 300 क्विंटल थी, तो अब यह टॉप बोरर अटैक के कारण 240 से 250 क्विंटल हो रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, वे यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि भविष्य में कीटों के हमले कम से कम हों। जिसके लिए वे गन्ने के बीज को कीट-प्रतिरोधी किस्मों से बदल रहे हैं।

इस साल पंजाब सरकार ने गन्ने का एसएपी बढ़ाकर 360 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इस बढ़ोतरी की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने की थी। हालांकि, राज्य में सात निजी चीनी मिलों के मालिकों ने बढ़ी हुई एसएपी (वृद्धि 50 रुपये प्रति क्विंटल) का भुगतान करने से इनकार कर दिया है, और राज्य सरकार से बढ़ी हुई कीमत का भुगतान करने के लिए कहा। तब तय हुआ कि बढ़ी हुई कीमत का 70 फीसदी (35 रुपये प्रति क्विंटल) राज्य वहन करेगा और इस सब्सिडी का भुगतान मिलों को किया जाएगा। राज्य में गन्ने की खेती का कुल क्षेत्रफल 1.16 लाख हेक्टेयर है। कई वर्षों से सरकार इस क्षेत्र को बढ़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन चीनी मिलों (सात निजी मिलों और नौ सहकारी मिलों) द्वारा भुगतान में देरी के कारण, किसानों ने गन्ने में विविधता लाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

इस साल, हालांकि, अधिकांश चीनी मिलों ने पहले ही पिछले वर्षों का बकाया चुका दिया है।

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