वेल्लोर: राज्य भर के सहकारी चीनी मिलों के श्रमिक और गन्ना किसानों ने राज्य सरकार से इस मौसम में मिलों को फिर से शुरू करने की मांग की है। उन्होंने सरकार से 2021-22 सीजन के लिए तिरुपत्तूर में अंबुर सहकारी चीनी मिल और मदुरै में राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल में पेराई कार्यों को फिर से शुरू करने का आग्रह किया। चीनी मिलें गन्ने की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए दो साल से अधिक समय से काम नहीं कर रहे हैं। हालांकि, श्रमिकों का आरोप है कि मिलों में रिकॉर्ड गन्ना उत्पादन किया गया है और मिल संचालन तुरंत शुरू करने के लिए कई विरोध प्रदर्शन किए। चीनी मिल के श्रमिकों ने सरकार से पिछले नौ महीनों से बकाया वेतन भुगतान जारी करने का भी आग्रह किया।
Newindianexpress.com में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कर्मचारी संघ (CITU) के सचिव राज कुमार ने कहा, मिल पिछले दो सालों से बंद है और अधिकारी अपर्याप्त गन्ना उत्पादन को जिम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन, इस साल हमारे पास अंबुर मिल के साथ पंजीकृत 50,000 मीट्रिक टन गन्ना है। सैकड़ों कर्मचारियों की आजीविका इस मिल पर निर्भर है।
मीडिया रिपोर्ट में आगे कहा गया है की कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार, गन्ना का रकबा कम है, इसलिए इस साल कुछ मिलें नहीं शुरू की गईं। छह साल पहले राज्य में गन्ने की खेती लगभग दो लाख हेक्टेयर थी। अब वह आधी हो गई हैं, और विभिन्न कारणों से रकबा धीरे-धीरे कम हो रहा है। कम रकबे के चलते मिलों को चलाना आर्थिक रूप से अव्यावहारिक है। तमिलनाडु गन्ना किसान संघ के सचिव रवींद्रन ने कहा कि यह मुख्य रूप से किसानों और स्थानीय लोगों की मदद करने के लिए एक सेवा-आधारित उद्योग है। कृषि आधारित उद्योग को लाभोन्मुखी व्यवसाय के रूप में नहीं चलाया जा सकता।