नई दिल्ली: वर्ष 2020-21 में पेट्रोल में एथेनॉल का सम्मिश्रण 8.1% तक बढ़ गया है, जो पिछले वर्ष में 5% और 2013-14 में केवल 1.5% था। केंद्र सरकार द्वारा चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लागूं नीतिगत उपायों की वजह से आपूर्ति बढ़ाने में मदद हुई।
सरकार ने तेल आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य बनाया है। आज की तारीख में देश घरेलू जरूरतों का 85% हिस्सा आयात करता है और इसलिए एथेनॉल सम्मिश्रण 10% तक पहुंचने के बाद तेल आयात में गिरावट आ सकती है। जैसे-जैसे अधिक आपूर्ति उपलब्ध होगी, इस एथेनॉल वर्ष में सम्मिश्रण अनुपात 10% तक पहुंचने की उम्मीद है।
सरकार द्वारा एक और बड़ा कदम चीनी, शुगर सिरप, अधिशेष चावल और मक्का का एथेनॉल उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल के दायरे का विस्तार करना था। अनाज को शामिल करने से एथेनॉल उत्पादन को कई अन्य राज्यों में ले जाने में मदद मिली। पहले यह ज्यादातर यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक तक सीमित था, जहां गन्ने की बड़ी फसलें होती थीं।