पेशावर: कमजोर गन्ने की फसल और उच्च उत्पादन लागत ने इस साल प्रांत में चीनी मिलों को गंभीर झटका दिया है। मिलों के सामने आर्थिक संकट गहरा हुआ है। हाल के दिनों में इस क्षेत्र में बारिश शुरू हुई थी, लेकिन एक साल तक मौसम शुष्क रहा, जिससे गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचा। कीड़ों ने भी फसल को नुकसान पहुंचाया है।
किसानों का कहना है की गुणवत्ता के मामले में गन्ना विभिन्न प्रकार के होते हैं लेकिन चीनी मिलें सभी प्रकार के लिए एक ही कीमत देती हैं, जिससे किसानों को अंततः नुकसान उठाना पड़ता है। अच्छी फसल पैदा करने के लिए डीएपी उर्वरक की आवश्यकता होती है लेकिन इस उर्वरक की कीमत लगभग एक वर्ष में 4000 रुपये से बढ़कर 8000 रुपये प्रति 49 किलोग्राम से अधिक हो गई है। यूरिया की कीमत भी लगभग एक वर्ष की अवधि में 1800 रुपये से बढ़कर 2700 रुपये प्रति 49 किलोग्राम हो गई है, जिससे फसल की उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है।
किसानों ने कहा की इस साल मिलें सरकार द्वारा तय की गई दरों से भी बेहतर दर किसानों को दे रही हैं, लेकिन किसान इसे मिलों को बेचने के लिए इच्छुक नहीं हैं। जब किसानों ने 50 किलो गन्ने के उत्पादन पर 400 रुपये खर्च किए, तो वे इसे 280 रुपये से 300 रुपये की दर से कैसे बेचेंगे। स्थानीय गड़ बनाने वाली इकाइयाफ (घनिस) किसानों को मिलों की तुलना में बेहतर कीमत दे रही है। इसलिए लोग मिलों को बेचने के बजाय, अपनी फसल से गुड़ बनाना पसंद कर रहें हैं।