काठमांडू: सरकार ने नवंबर से शुरू हो रहे इस फसल सीजन के लिए गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8.39 प्रतिशत बढ़ाकर 590 रुपये (Nepalese Rupee) प्रति क्विंटल कर दिया है। सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की के मुताबिक बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में नई दर को मंजूरी दी गई। पिछले साल सरकार ने गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 544.33 रुपये (Nepalese Rupee) प्रति क्विंटल तय किया था।
उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय में अवर सचिव उर्मिला केसी ने कहा कि, मूल्य में गन्ना किसानों को भुगतान की गई 70 रुपये प्रति क्विंटल की सरकारी सब्सिडी शामिल है। न्यूनतम मूल्य किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य है, और यह आमतौर पर कृषि और पशुधन विकास मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर फसल से पहले घोषित किया जाता है। इस साल इसमें दो महीने की देरी हुई है। प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के किसानों ने देरी के लिए सरकार की आलोचना की क्योंकि उनकी खड़ी फसलें खेतों में सूख रही थीं।
गन्ना किसानों और चीनी उत्पादकों के बीच लगातार टकराव को खत्म करने के लिए सरकार ने 2018 से गन्ने का फ्लोर प्राइस तय करना शुरू किया। गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों के लिए यह एक परंपरा बन गई थी कि वे हर साल फसल के समय न्यूनतम मूल्य को लेकर तीखे विवाद में उलझे रहते थे। इससे पहले नेपाल में गन्ने की कीमतें आम तौर पर भारतीय मिलों द्वारा अपने किसानों को भुगतान की गई दरों पर आधारित होती थीं। गन्ना किसानों ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य नवंबर में तय किया जाना चाहिए था और पेराई सत्र दिसंबर से शुरू होना चाहिए था। देश में गन्ना उत्पादन 2012 से लगातार गिर रहा है।
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